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1.2.08

एक बार फिर...

सुखद आश्‍चर्य
बहुत दिन हुए भडास को देखे आज अन्‍जाने में फिर से हाथ लग गया पहले इसमें शामिल हुआ ही था कि यशवंत जी आराम करने लगे। अब फिर से और ज्‍यादा जोश में दिखाई दिया है।
कुछ बदलाव हुए हैं लेकिन इसका बना रहना सुखद अहसास है। भडासियों की दुनिया के लोगों आप लोगों को राजस्‍थान के धोरों के बीच बसे शहर बीकानेर से सिद्धार्थ जोशी का सलाम है।
भडास की गतिविधयों ने मुझे शुरू तो कर दिया लेकिन मंच गायब हो गया था इस कारण मैंने खुद के दो नए ब्‍लॉग शुरू कर दिए हैं। उम्‍मीद है आप लोगों को पसंद आएंगे।
राजस्‍थान पत्रिका में बिजनेस रिपोर्टिंग के अलावा निजी तौर पर शौकिया ज्‍योतिषी भी हूं।
दिमाग में खुजली आती है तो यर्थाथ ज्‍योतिष और दर्शन पर लिखने की कोशिश करता हूं। इन्‍हें आप लोग
यहां
और यहां देख पाएंगे।
मैं अपनी खुशी बयान नहीं कर पा रहा हूं
यशवंत जी को बधाई और धन्‍यवाद
सिद्धार्थ जोशी

1 comment:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

स्वागत है पर यहां ज्योतिष न आजमाना भइया हम तो अपना भाग्य खुद लिखने की सनक रखते हैं और मानते हैं कि ईश्वर की दुनिया हमारे बिना अधूरी थी तभी तो मजबूरी में उसने हमें यहां भेजा है वरना तो हमने एप्लीकेशन तो दी नहीं थी कि भेजो हमें दुनिया में........
बुरा न मानना दादू हमारी आदत हो गई है टोचन देते रहने की.....
जय भड़ास