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3.12.08

भेज दो बूढे माँ-बाप को वृद्धाश्रम में.....!!


आजकल के बच्चे....!!क्या करें इन पर दबाव ही कित्ता सारा है....??कित्ता बोझ है...अपने एकाध बच्चों की परवरिश का...और मुई महंगाई ये भी तो पीछा कहाँ छोड़ती है...इसलिए बच्चे माँ-बाप को ही छोड़ देते हैं....बिचारे आज कल के बच्चे....और ये माँ-बाप....कित्ते तो तंगदिल हैं...कि जिन्हें वर्षों प्यार से पाला-पोसा है...उन्हें ही धिक्कारते हैं....छी-छी-छी ये कैसे माँ-बाप हैं जो अपने ही बच्चों की मजबूरी नहीं समझते.....!!.......इसलिए हे आजकल के बिचारे बच्चों कल का इंतज़ार मत करो....कल करते हो सो आज ही करो....ऐसे मनहूस और गैर-संवेदनशील माँ-बापों को घर बाहर करो....ये गुजरा हुआ कल हैं....ऐसे भी इन्हे मरना है...और वैसे भी...इनकी खातिर तुम अपने बच्चों की इच्छाओं का गला क्यूँ घोंटते हो...अरे आने वाले कल का भविष्य तो उज्जवल करो...माँ-बाप तो यूँ ही हैं....उन्होंने अपने बाल-बच्चों के प्रति अपना कर्तव्य पूरा किया...अब तुम भी तो वो ही करोगे ना... भाड़ में जाएँ माँ-बाप...इनकी बला से क्या तुमने उनके बुढापे का ठेका ले रखा है..?? जाओ एश-मौज करो...और बच्चों को वही सिखाओ... अलबत्ता ये जरूर है....कि चाँद सालों बाद ही इतिहास स्वयम को दुहरायेगा....और तुम्हारे साथ भी वही.....!!!!!!

1 comment:

Anonymous said...

bahut satik tipnni ki hai aapane

mukund