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4.12.08

अपने देश का गौरव ही, साला सीने में चुभता है कहीं

विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र ? दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश, ?प्राचीन काल से वीरो की भूमी, ? प्रथम सबसे बड़ा साम्राज्य स्थापित करने वाला देश ? जहा एक नही ८४ कारोड देवी देवता निवास करते हैं ........? जहा साधुओ में इतनी शक्ति रही है की समुद्र के सारे पानी को पी जाते थे ......? बंदरो की फौज सागरों पर पुल बना डालती थी........? अस्मिता की खातिर नारिया तेल के खुओलते कडाहे में कूद जाती thi ......? एक नारी की इज्जत के लिए संसार का सबसे बड़ा संग्राम महाभारत हो जाता था.....? एक नन्हा बालक शेर की पीट पैर बैटकर उसके दंत गिन लेता था...? और आज १० नवयुवक सारे सिक्कियोरिटी इंतजामों को तोड़कर देश की आर्थिक राजधानी में मन मुताबिक दाखिल होते है और भारत माँ की अस्मिता को रोंदते हुए उसके लालोंमें ऐसी दहशत फैला जाते हैं की मंजर को याद कर पीडितो की आँखों से आंसू झलकने लगते। वह सपनो में डर कर उठ जाते है। देश की सुरक्षा के ठेकेदार जांच कर रहे हैं। देशवासियों अफ़सोस मत करो विदेशओ से ख़ास लोगे मुआइना करने आ रहे हैं। वह हमे बचा लेंगे। अब हम ख़ुद अपनी सुरक्षा नही कर सकते। सारा देश जल रहा है। आम लोगो में नेताओ के ख़िलाफ़ गुस्सा है। बहुत हो गया अब नही सहेंगे। कुछ इसे ही हालात है अभी ............ लेकिन नया कुछ भी नही है। लेख की शुरुआत में दी हुई उपमा सब चमचो की दी हुई हैं। असल में यह देश जन्म से ऐसा ही है और ऐसा ही रहेगा॥ पंगुओ का देश। जहा हमेशा से नारी की अस्मिता लुटती चली आई है। मौर्य वंश के बाद हमेशा गुलामी झेलने वाला देश है यह। पहले हुड फ़िर यवन और फ़िर ७१५ में मोहम्मद बिन कासिम आता है देश को कुचलता है और ७०० बौध कन्याओ अपने साथ जबरदस्ती ले आता है। कासिम से शुरू हुआ सिलसिला २८ नवम्बर २०००८ तक नही रुका है। कभी बहु बेटियो की इज्जत लूटी जाती है तो कभी चार लड़के नाव पर आकर भरत माँ छाती पर तांडव मचा कर चले जाते हैं। और माँ के वीर कहे जाने वाले लाल हिंदू मुस्लिम , बिहारी मराठी वाद में उलझे हुए हैं। अफ़सोस की बात नही है। क्योकि नया कुछ भी नही है। कही से भी उठा लो देश का इतिहास भारत ने यही सब झेला है। और अब आदि हो गया गया है। महमूद गजनवी, तेमूर लंग, बाबर, आदिल शाह अब्दाली जैसे कितने ही नाम है जिन्होंने जिस तरह चाहा उस तरह से हमारी अस्मिता के साथ खेला। नारियो के स्तन काटकर दीवारों पर चिपकाए तो कभी जांघो पर खंजेर से इबारत लिख दी। अंग्रेजो ने हजारो महिलाओ के साथ बलात्कार किए। देश की इज्जत कुचल कर रख दी। फ़िर भी हम इसे वीरो की धरती कहते हैं। प्रथ्वी राज चौहान के गुन गाते है। झूद कहते फिरते हैं की गोरी को सत्रह बार छोड़ा था, ख़ाक छोड़ा था ताराइन के दूसरे युद्ध में में मुह की खाई थी चौहान ने। फ़िर महाराणा प्रताप के गुन गाते हैं सिर्फ़ इस बात पर की उन्होंने घास की रोटिया खाई। अकबर से छोटा स जमीन का टुकडा ले भी लिया तो कोन स teer मार लिया था। वीर थे तो अकबर का साम्राज्य छीन कर dikhate। हम फ़िर भी बहुत खुश होते हैं यह वीरो की भूमि है। आज भी ठीक पहले jaesa ही है। हम mumbai में kamaando की जीत पर taali thok रहे हैं। पर यह नही देख रहे हैं की दस लड़के सारा देश dahla कर चले गए। और हम sahido की याद में deepak जला कर khush हैं। कर्तव्य की etishri मान रहे हैं। लेकिन वह आतंकवादी जो करने आए थे उससे कही jyada कर गए है। सारा देश tharra गया। videsho में hasi हुई। देश को सबसे kushal senik उनसे ladne के लिए लगाने पड़े। सारा मीडिया सब छोड़कर unhe कैद करने में लगा रहा। पूरे संसार ने उनकी पहुँच का nya sahas देखा। वह तो ummeed से jyada pa gaaye भाई। उन के जाने के बाद भी सारा देश उनके बारे में ही सोच रहा है। उनके हर अंग पर मीडिया charcha कर रहा है। और ente बड़े झटके के बाद भी हमारे हालात क्या हैं, आम लोग sadko पर netao के ख़िलाफ़ jahar ugal रहे हैं और नेता महिलाओ की lipstik देख रहे हैं। वाह रे मेरे देश। क्या kahne ? ठीक vahi haalat है जब गजनवी somnath का मन्दिर लूट रहा था और १ लाख sadhu bhagvaan से guhaar लगा रहे थे की हमे बचा लो। जबकि गजनवी की सेना sadhuo से बहुत कम थी। तो dosto अफ़सोस करने के लिए कुछ भी नही है । भारत देश तो हमेशा से यह सब sahne का आदी हैं। बस सरदार भगत को छोड़कर..........

1 comment:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

राहुल भाई ठीक यही पीड़ा मेरी है लेकिन आपने उसे अच्छे शब्दों में बयान करा, मैं इस क्षोभ,पीड़ातिरेक के आपके द्वारा कह दिये जाने पर कुछ राहत महसूस कर रहा हूं यही तो भड़ास का दर्शन शास्त्र है। धन्यवाद