Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

28.4.09

खुशबू बिखेरती...बेटियाँ...



घर भर को जन्नत बनाती है बेटियाँ॥! अपनी तब्बुसम से इसे सजाती है बेटियाँ॥ ! पिघलती है अश्क बनके ,माँ के दर्द से॥! रोते हुए भी बाबुल को हंसाती है बेटियाँ॥! सुबह की अजान सी प्यारी लगे॥, मन्दिर के दिए की बाती है बेटियाँ॥! सहती है दुनिया के सारे ग़म, फ़िर भी सभी रिश्ते .निभाती है बेटियाँ...! बेटे देते है माँ बाप को .आंसू, उन आंसुओं को सह्जेती है .बेटियाँ...! फूल सी बिखेरती है चारों और खुशबू, फ़िर .भी न जाने क्यूँ जलाई जाती है बेटियाँ...

2 comments:

Asha Jogleakr said...

ye sab badal raha hai aurbadlega kyunki is sab ko ab badalengi betiyan.

Anonymous said...

इन सब के लिए स्त्री खुद ही जिम्मेदार है जब तक वह हकीकत को ना जान ले.