(वीरेंद्र सेंगर की कलम से)
कश्मीर की गाड़ी एक बार फिर पटरी से उतरती नजर आ रही है। घाटी को फिर से अशांति और अराजकता की भट्ठी में झोंकने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। श्रीनगर से 11 जून को हिंसक वारदातों का सिलसिला शुरू हुआ था। करीब एक महीने के अंदर ही सुरक्षाबलों के खिलाफ पूरी घाटी में आक्रोश और नफरत की आग भड़का दी गई है। हालात बेकाबू होते देखकर श्रीनगर सहित घाटी के कई संवेदनशील इलाकों में सेना की तैनाती कर दी गई है।
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8.7.10
धधकता कश्मीर
Labels: subhash rai
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