कबीरा धीरज के धरे हाथी मन भर खाए , टूक टूक के खातरे स्वान घरे घर जाए.
कबीरदास जी ने कहा है की धीरज (पेशेंस) रखने के कारण एक हाथी जिसकी खुराख एक मन (४० किलो) होती है उसे मिलती है । एक स्वान (कुत्ता ) भी होता है जो धीरज ना धरने के कारण टुकड़े टुकड़े की खातिर घर घर जाता है ।
आज के युग में भी वही बात सही दिखाई पड़ती है ,हम अपने आस पड़ोस में कितने ऐसे लोगों को देखते हैं जो २०-२५-३०- हज़ार की नौकरी या धंधे के लिए दिन रात एक किए रहते हैं लेकिन उनमे इतना धेर्य नहीं होता की किसी ऐसे काम को पकड़े जिसमे २-३ साल काम करने के बाद उन्हें एक आर्थिक आज़ादी मिल सके और वो अपने बच्चों और परिवार के साथ आराम से जिंदगी बिता सकें . बात बड़ी सीधी सी है लेकिन समझ में बड़ी मुश्किल से आती है । शक सबसे पहले पैदा होता है । जो शक करते हैं वो करते रहें लेकिन जो खुद पर यकीन रखते हैं वो कामयाब होते हैं । आख़िर "दिलवाले ही दुल्हनिया ले जाते है " और शक करने वाले देखते रह जाते हैं।
आज कल कलयुग है आज देखने में ये आता है कि जिन लोगों में हाथी जितना कैलीबर है वो बेचारे भी स्वान की तरह ही जिंदगी जी रहे हैं ।
आख़िर कलयुग है भाई ।
सतयुग में भी स्वान को हाथी नही बनाया जा सकता था और ना आज बनाया जा सकता है । इसलिए मेरी भी ऐसी कोई कोशिश नहीं है । मेरी कोशिश सिर्फ़ इतनी है कि जो हाथी स्वान की तरह से काम कर रहे हैं उन्हें सिर्फ़ ये अहसास दिलाऊँ की भाई तुम स्वान नही हाथी हो और हाथी की तरह से जियो । और इसमे मुझे आप सभी भडासी भाइयों की ज़रूरत है । मैं चाहता हूँ की यदि आपका कोई दोस्त जिसके बारे में आपको भी ऐसा लगता हो की वो बेचारा हाथी होते हुए भी स्वान की तरह काम कर रहा है यानि अपने केलिबर का काम नही कर रहा और आप उसकी मदद करना चाहते हैं तो प्लीज़ उसे मेरा रेफरेंस दे दीजियेगा । वो कामयाब होगा बशर्ते वो हाथी हो ।
सारे हाथियों के दिल मे ये सवाल उठ रहा होगा की ये इतनी बड़ी बड़ी बातें कर रहा है आख़िर इसके पास ऐसा क्या है ? ज़रूर लिख देता मेरे दोस्तों लेकिन जिस बात को समझने मे मुझे दो साल लगे वो बात आपको दो शब्दों मे समझाना मुमकिन नहीं । हाँ इतना वादा है की अगर ख़ुद पर विश्वास है तो साथ मे मेरा विश्वास भी मिला लो जिंदगी को जीने का नज़रिया बदल जायेगा ।
खुद और खुदा एक ही शब्द है ।
लेकिन विश्वास तो करना पड़ेगा।
अंत में :- यदि किसी की व्यक्तिगत भावनाओं को ठेस लगी हो तो क्षमा चाहता हूँ ।
कबीरदास जी ने कहा है की धीरज (पेशेंस) रखने के कारण एक हाथी जिसकी खुराख एक मन (४० किलो) होती है उसे मिलती है । एक स्वान (कुत्ता ) भी होता है जो धीरज ना धरने के कारण टुकड़े टुकड़े की खातिर घर घर जाता है ।
आज के युग में भी वही बात सही दिखाई पड़ती है ,हम अपने आस पड़ोस में कितने ऐसे लोगों को देखते हैं जो २०-२५-३०- हज़ार की नौकरी या धंधे के लिए दिन रात एक किए रहते हैं लेकिन उनमे इतना धेर्य नहीं होता की किसी ऐसे काम को पकड़े जिसमे २-३ साल काम करने के बाद उन्हें एक आर्थिक आज़ादी मिल सके और वो अपने बच्चों और परिवार के साथ आराम से जिंदगी बिता सकें . बात बड़ी सीधी सी है लेकिन समझ में बड़ी मुश्किल से आती है । शक सबसे पहले पैदा होता है । जो शक करते हैं वो करते रहें लेकिन जो खुद पर यकीन रखते हैं वो कामयाब होते हैं । आख़िर "दिलवाले ही दुल्हनिया ले जाते है " और शक करने वाले देखते रह जाते हैं।
आज कल कलयुग है आज देखने में ये आता है कि जिन लोगों में हाथी जितना कैलीबर है वो बेचारे भी स्वान की तरह ही जिंदगी जी रहे हैं ।
आख़िर कलयुग है भाई ।
सतयुग में भी स्वान को हाथी नही बनाया जा सकता था और ना आज बनाया जा सकता है । इसलिए मेरी भी ऐसी कोई कोशिश नहीं है । मेरी कोशिश सिर्फ़ इतनी है कि जो हाथी स्वान की तरह से काम कर रहे हैं उन्हें सिर्फ़ ये अहसास दिलाऊँ की भाई तुम स्वान नही हाथी हो और हाथी की तरह से जियो । और इसमे मुझे आप सभी भडासी भाइयों की ज़रूरत है । मैं चाहता हूँ की यदि आपका कोई दोस्त जिसके बारे में आपको भी ऐसा लगता हो की वो बेचारा हाथी होते हुए भी स्वान की तरह काम कर रहा है यानि अपने केलिबर का काम नही कर रहा और आप उसकी मदद करना चाहते हैं तो प्लीज़ उसे मेरा रेफरेंस दे दीजियेगा । वो कामयाब होगा बशर्ते वो हाथी हो ।
सारे हाथियों के दिल मे ये सवाल उठ रहा होगा की ये इतनी बड़ी बड़ी बातें कर रहा है आख़िर इसके पास ऐसा क्या है ? ज़रूर लिख देता मेरे दोस्तों लेकिन जिस बात को समझने मे मुझे दो साल लगे वो बात आपको दो शब्दों मे समझाना मुमकिन नहीं । हाँ इतना वादा है की अगर ख़ुद पर विश्वास है तो साथ मे मेरा विश्वास भी मिला लो जिंदगी को जीने का नज़रिया बदल जायेगा ।
खुद और खुदा एक ही शब्द है ।
लेकिन विश्वास तो करना पड़ेगा।
अंत में :- यदि किसी की व्यक्तिगत भावनाओं को ठेस लगी हो तो क्षमा चाहता हूँ ।
No comments:
Post a Comment