शेयर बाजार की गिरावट के बाद आम निवेशक बौखला गए हैं। गिरावट तो पहले से ही चल रही थी लेकिन रिलायंस के आईपीओ के गिरने का बाजार पर बहुत खराब प्रभाव पडा है इससे आम निवेशकों की उम्मीदों पर पानी फिर गया बढते हुए बाजार को देखकर हर किसी को लग रहा था कि उनके पैसे शेयर बाजार में डालते ही दुगने हो जाएंगे लेकिन इतनी गिरावट की किसी को उम्मीद नहीं थी। अब जब बाजार की हर स्थिति नाउम्मीद दिखाई दे रही है तो निवेशकों का धैर्य भी चुकने लगा है। बाजार की गर्मी कभी यथावत नहीं रहती। अधिकांश विश्लेषकों का मानना है कि दो तीन माह तक बाजार की यही स्थिति रहेगी लेकिन आम आदमी को इस विश्लेषण की कहां परवाह है। हर किसी को यही मलाल है कि चौबे चले छब्बे जी बनने और दूबे जी होकर लौटे। खिसियाए हुए लोग कभी इधर तो कभी उधर गुस्सा निकाल रहे हैं। पहली बार बाजार ने आम आदमी के बैडरूम और रसोई में तनाव डाला है। आगे देखते हैं क्या होता है।
13.2.08
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2 comments:
भई, बाजार तो जुआ खिलवाता है, और जब जुआ है तो कभी गिरेंगे, कभी उठेंगे, कभी जीतेंगे, कभी हारेंगे......
अच्छा विश्लेषण है..
यशवंत
जोशी जी,ई का बता रहे हो कि आम आदमी के जीवन मे बाजार का तनाव बैडरूम और रसोई तक में आ गया है ,मतलब रसोई सोई पड़ी है और बैडरूम वेरी बैडरूम हो गया है ?
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