पूजा को बहन लिख दिया तो कई भड़ासी परेशान हो गये कि अब तो साली मुसीबत हो गई । ये साला खुद तो पागल है और हमें खाली-फ़ुकट में रिश्तों में बांध रहा है । भिड़ू लोग डरने का नई अप्पन तो तुम सबको जीजाजी बोलेंगा ,कोई तकलीफ़????? असल में क्या है मितरां लोग, अपुन साला लैंगिक विकलांग(जिन्हें लोग हिजड़ा,किन्नर,वानर और न जाने क्या कहते हैं पर ठीक से इंसान नहीं मानते) लोग के साथ इतना समय गुजार लेते हैं कि रिश्तों के समीकरण ही उल्टे-पुल्टे हो जाते हैं ,सोचना पड़ता है कि किसे क्या कह कर बुलायें ? मेरे इन मित्रों ने बताया कि कभी-कभी जरूरत पड़ने पर इन लोगों ने भी ऐसे ड्रग्स बेचे हैं ,रेव पार्टीज़ में ।
ROHYPNOL या FLUNITRAZEPAM ,KETAMINES,MDMA या ECSTASY और GHB या GAMAA HYDROXY BUTYRIC ACID ये चार ड्रग्स ऐसे हैं जो कि केमिस्ट्स के आपसी कंपटीशन के चलते आसानी से बिना डाक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के मिल जाते हैं । अब ये मत समझना कि हम चिकित्सा शास्त्र की जानकारी पेल रहे हैं बल्कि बताना चाहते हैं कि आज देश में 450 ऐसे ड्रग्स वर्तमान में चल रहे हैं जो कि शेड्यूल - H ड्रग्स में रखे गये हैं ओवरडोज़ के चलते अत्यंत खतरनाक हैं और इस कतार में सौ से अधिक ड्रग्स रजिस्ट्रेशन की कतार में हैं । अगर आपको गरियाना और सुधार लाने का जतन करना है तो इस षडयंत्र से बचॊ बहुराष्ट्रीय कंपनियों के जो देश को प्रयोगशाला बनाए हुए हैं और हम सब को चूहे ,कुत्ते बंदर या गिनीपिग की तरह से प्रायोगिक जंतु बनाए हमारे देश को पाइप लगा कर चूस रही हैं ।
जय जय भड़ास
19.2.08
खून पिलाइए न प्लीज़.......
Posted by डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
Labels: गरियाना, चूहे, बहुराष्ट्रीय कंपनियां, लैंगिक विकलांग
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2 comments:
अरे मत बताइए वरना हमारे भड़ासी भाई केमिस्ट के यहां कतार लगा कर खड़े मिलेंगे इन्हीं दवाओं के लिए । आपके कहने पर मंने तो दवाएं खाना बंद कर दिया और स्वस्थ हूं लेकिन लोग आपसे फ़ायदा नहीं ले पा रहे हैं ये उनकी बदकिस्मती है ।
kiska khoon pijiyega guru? kuchh aur pijiye na khon pilanevala ang viksit nhi hua hai abhi...
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