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29.2.08

''भडास'' को प्रतिबन्ध करने के विरोध में बेगुसराय के युवाओं ने थामा मोर्चा.

सभी भडासी साथिओं से अनुरोध है की संयम और धैर्य का परिचय देते हुए कथित प्रगतिशीलता का नारा लगाने वालों की तानाशाही एवं भडास की लोकप्रियता से खार खाए लोगों को चिल्लाने दें। इस बार के प्रारंभ हुए विवाद को अंजाम तक पहुंचाने के लिए आप लोग अपने स्तर से फ्लेग करने के अभियान में जुट जाएं जैसा यशवंत दादा ने ऊपर बताया है।

इधर बेगुसराय में मैंने अपने स्तर से युवाओं को सामने आने का अनुरोध किया है,उनको बताया है की इस पिछ्रे जिले में भडास जिस तेजी से लोकप्रिय हुआ है और आम आदमी जो भड़ास को किसी भी रूप में चाहते हैं वे सामने आयें और दिन भर साइबर कैफे में बैठ कर ''मोहल्ला'' और इरफान एवं अन्य के ब्लॉग को तब तक फेलेग करते रहे जब तक उन्हें बैन न कर दे।
इतना ही नही बेगुसराय में मैंने हस्ताक्षर अभियान आज सुबह से प्रारंभ किया है जिसके लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के युवाओं को यह बताया गया है की वे भडास की उन्मुक्त शैली को अगर पसंद करते हैं तो वे हस्ताक्षर करें और अगर नही तो अपनी राय दें की वे ऐसा क्यों नही करना चाहते हैं?क्योंकि हस्ताक्षर युक्त आवेदन की प्रतिलिपि गूगल के मुख्य कार्यालय में भेजी जायेगी और यह प्रश्न किया जाएगा की आख़िर वे किस कंटेंट को स्वीकृत मानते हैं।

इस मामले में तो तथ्य एक दम स्पष्ट है ...भडास की लोकप्रियता और ख़ास कर ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े लोगों को भडास के मंच पर ऐसा लगता है की इसने तो दिल की हकीकत बात कह दी है ,उन्हें बौधिक जुगाली करने वालों की वर्षों की करतूतों में परिवर्तन की संभावनाएं नही दिखी उन्हें भी दिखने लगा की ये कथित बुद्धिजीवी ब्लॉग पर भी वाही नाटक कर रहे हैं तो उन्होंने भड़ास को दिल से समर्थन दिया और जब प्रतिबन्ध की बात सामने आई तो वे अपने स्तर से इतना प्रतिरोध कर रहे हैं की ताल ठोंक कर कह रहा हुं....आप जगह बताइए समय बताइए पूरे हिन्दुस्तान की उपेक्षित आबादी को तो छोडिए अकेला बेगुसराय का आम अवाम आप को बताने के लिए काफी है की तुम्हारे जैसे के कारण ही देश की यह दुर्गति हुई है ,तुम्हारे जैसों की मानसिकता के कारण ही देश रसातल में जा रहा है और जब भडास ने उपेक्षितों को एक मंच दिया तो तुम्हारी में आग लग रही है ......

तो भडासी साथिओं घबराएं नही ...हिन्दुस्तान की यह खूबी रही है की इस भूमि पर क्रांति की आग थोरी देर से सुलगती जरुर है लेकिन मंजिल को प्राप्त कर के ही दम लेती है। तुम एक भडास बंद करो...हम हर आवाम के दिल में भडास की मशाल जलाएँगे ...हमारी आन्दोलन और गालियों का अनवरत दौर तब तक चलता रहेगा जब तक हम देश वासिओं को ये न बता दें की तुम मठाधीशों के कारण ही भारत अपने मंजिल से महरूम है....
तो साथिओं ..ललकारो की हम भाडासिओं को बंद कर दो...जेल तक पहुँचाओ ....लेकिन याद रखना दो चार ऐसे मठाधीशों के सामने ख़ुद को झुकाना देश की उपेक्षित पडी आबादी को अन्याय के दल दल में घुसाने के समान होगा। मैं फ़िर शाम तक हस्ताक्षर अभियान की प्रगति को लेकर आ रहा हुं....युवाओं का गुस्सा चरम पर है,अगर 'भडास' को बंद करने की मुहीम चली तो देखना अकेला बेगुसराय की धरती तुम स्वतन्त्रता पर लगामलगाने वालों पर कैसे भारी पड़ेगी?
विशेष शाम में फ़िर मिलते हैं।
जय जय हो भडास ...इंकलाब जिन्दाबाद .....भडासी उपेक्षित जिन्दाबाद
जय यशवंत...जय आम अवाम
मनीष राज बेगुसराय

1 comment:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

मनीष भाई,देश को अगर दो चार मनीष और मिल जाएं तो फिर क्या बात है चूहे ,काकरोच,दीमक अपने आप ही भाग जाएंगे....
जय यशवंत
जय मनीषराज
जय क ख ग घ
जय च छ ज झ
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जय क्ष त्र ज्ञ
जय A B C....Z
पर हर हाल में जय जय भड़ास