रामखिलावन लोकल ट्रेन में चने-कुरमुरे बेंचता है । दो महीने से मुलुक गया था ,लौट कर आया तो फिर ट्रेन में जीविकोपार्जन का मार्ग । मैंने कहा कि खाली हाथ किधर चल दिए तो उसने बताया कि मनीषा दिद्दा(हम लोगों की लैंगिक सखी) ने उसे राखियां लाकर दी हैं जिन्हें वह दो दिन में बेंच कर फिर पुराने धंधे पर लौट आएगा । राखी की बात सुनकर मेरा दिमाग चकरा गया पर फिर उसने बताया,"डाक्साब १४ फरवरी को मुंबई में राखी मनाते हैं पर हमरे इहां से थोड़ा अलग है सब बिटिया-बेटवा एक दूसरे को राखी बांधते हैं और रक्षाबंधन नहीं बल्कि उसको थोड़ा अजीब नाम से जाना जाता है ,बेलनटाइट दे"
तीन बार सुनने पर समझ में आया कि खिलउना भइया वेलन्टाइन डे को ही बेलनटाइट दे कह रहा है और फ़्रेंडशिप-बैंड को राखी कह रहा है । अब आप बतएं कि उसका दिया हुआ यह नाम "बेलनटाइट दे" कितना सार्थक है । भगवान के लिये ऐसा कुछ मत कहना कि मैं कुछ गन्दी-गन्दी बातें आप लोगों को सिखा रहा हूं बस ये तो खिलउना भइया का भोलापन है जो आप लोगों के संग बांट रहा हूं ।
12.2.08
"बेलनटाइट दे"
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1 comment:
डाग्डर साहब, खिलावन भइया ने भले भोलेपन में बात कही है लेकिन है तो एकदम से सच्ची....किसी को समझ में आता है किसी को नहीं आता है लेकिन बेलन टाइट से तो सबे जूझ रहे हैं...
यशवंत
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