Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

1.2.08

दोहे


ब्लागिंग को ऐसो नशा हों गए लबरा मौन !
ब्लॉगर बीवी से कहें हम आपके कौन ....?

मिली पुरानी प्रेमिका दो बच्चों के साथ
मामा कह परिचय मिला,मन हों गया उदास ।

कबिरा चुगली चाकरी चलती संगै-साथ
चुगली बिन ये चाकरी ,ज्यों बिन घी का भात ।
अफसर करे न चाकरी ,बाबू करे न काम
पेपर आगे तब चलै जब पहुंचे पूरे दाम .
कहत मुकुल संसार में भाँती-भाँती के लोग
कछु तो पिटबे जोग हैं कछु अब्हई पिटबे जोग .

3 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

जै हो प्रभु ,जान पड़ रहा है कि कबीर महाराज सपने में आए थे और कहा कि भड़ासियों को भी जरा सी समझ और सत्य का पाठ दो.....

यशवंत सिंह yashwant singh said...

धन्य हैं गुरुवर आप, सच्चे मन से पोल खोलते हैं, चुटकियाय के....
यशवंत

Girish Billore Mukul said...

डा०रूपेश श्रीवास्तव यशवंत सिंह जी
सादर अभिवादन
आत्म अनुभव कितने व्यापक होते है
व्यष्टि में समष्टि का एहसास यही है
आपका आभारी हूँ