Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

1.5.08

Aaj tv waalo ko b blog walo ki yaad aa gai.
Aaj 10 baje ndtv india par raat 10 baje blogging par karyakram aa raha hai.
Hindi main nai likh raha kyonki mobile se ye post likh raha hoon.
Karyakram ka sheershak bhdas se sambandhit hai " kya dil ki bhadas hai blog"

5 comments:

Anonymous said...

Miss kar diya bhai..
koi youtube pe upload kar do.. plz

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

संजू जी,मोबाइलवा का तनी हिन्दी सिखावै का कोसिस करैं,आप तो तत्काल-अत्यंत-तुरंत निकले खबर देने के मामले में; इसी तेज धार से लगे रहिये....
जय जय भड़ास

Anonymous said...

भाई सूचना देने के लिए धन्यवाद
जय जय भड़ास

Parry said...

agar ramdev rajniti se hat kar satyagrah karte hai toh desh ke liye bahut achha hai warna ye ek natak hai.delhi me hui lathi charge bilkul galat hai...

Dr.Karuna Shankar Dubey said...

इंस्टिच्यूट ऑफ़ पर्सोनेल सेलेक्सन
इंस्टिच्यूट ऑफ़ पर्सोनेल सेलेक्सन प्रतियोगी छात्रो के साथ लुका छिपी करने वाली संस्था खेल संस्था के रूप में काम कर रही है ,जो वही खेल करती है ,जो दूसरे खेलो में होता है ,क्वार्टर फाइनल ,सेमीफाइनल ,फाइनल की तेज पर पहले आई ०बी ०पी ०एस ० की परीक्षा में हिस्सेदारी बटाये ,यदि अंक चालीस प्रतिशत से उपर होगे तो सेमीफाइनल,के लिए चुना जाएगा ,कार्ड मिलेगा ,कार्ड के आधार पर एक पर तीन या पांच दौडेगे अव्वल एक होगा ,पहले भी सेलेक्शन होता था ,जैसी जरूरत थी रख लेते थे अब कार्ड सिस्टम है ,अब आई ०बी ०पी ०एस ० की सार्थकता निर्थकता में तब्दील लगती है मात्र दो सौ की बचत की आड़ में बच्चों को छ महीने तक रोके रखा जाता है ,मूल परीक्षा से वंचित कर दिया जाता है और उसकी मानक आयु निकल जाती है ,उचित हो आई ०बी ०पी ०एस ० बंद कर पहले जैसी व्यवस्था कर दी जाय जब क्रीम ही लेना है तो क्रीम खाइए नही तो आवेदन पत्र में कालम होना चाहिए कि कौन -कौन से बैंक में आवेदन भेजे जा चुके है ताकि उनके अनुरूप इंडेक्स देख कर औरो को अवसर दिया जा सके या छोड़ा जा सके टोटल स्कोर के ग्राफ में और भी बच्चे शामिल हो सके अन्यथा एक ही बच्चा दस जगह सलेक्ट हो जायगा दूसरा अनफिट होगा क्योकि बुलाने का अनुपात एक पर तीन का ही है सम्भवत:श्री बालाजी निदेशक इस बात को समझते होगे कि गणित का यह फार्मूला आत्मघाती है बेरोजगारों के लिए विशेष प्रयास की जरूरत है ज्यादा जोड़ने की आवश्यकता है अब तो यह भी समस्या आ गयी है कि दस प्रतिशत लोग साक्षात्कार के लिए तो आ ही नही रहे है तो एक पर तीन का अनुपात कैसे हो पा रहा है पद खाली ही रह जाते है ,पहले से आवेदितो के शुल्क का क्या होगा क्या उन्हें अवसर मिलेगा हिन्दी के राज्यों के अभिभावक समझते है कि बेटा धोखा दे रहा है स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए आखिर यह लुका छिपी का खेल न बन जाय और बेरोजगारी का ग्राफ जस का तस न रह जाय