बड़े दुख के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि हरे भाई और पंडित सुरेश नीरव जी अब नहीं रहे। ये लोग भड़ास की दुनिया से विदा हो गए हैं। इन लोगों ने दूरभाष पर मुझे सूचित किया कि किन्हीं कारणों के चलते वे भड़ास के साथ खुद को जोड़े रख पाने में असमर्थ महसूस कर रहे हैं इसलिए उनकी सदस्यता और उनके कंटेंट भड़ास से हटा लिए जाएं।
दोनों महान आत्माओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए भड़ास से उनके नाम को धो-पोंछ दिया गया है। उम्मीद है कि वे लोग अब राहत महसूस कर रहें होंगे।
जितने दिन तक साथ दे पाए, उसके लिए शुक्रिया। आप लोग आबाद रहें, नई दिल्ली में रहें या इलाहाबाद या अहमदाबाद रहें।
बाकी भड़ासी भाई अपने इन दोनों साथियों के विदा होने से दुखी तो जरूर होंगे लेकिन मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वे भाई भड़ासियों को इन दोनों साथियों के विदा हो जाने से पैदा दुख को सहने की ताकत प्रदान करेंगे।
जय भड़ास
यशवंत सिंह
10.7.08
हरे भाई और पंडित नीरव जी नहीं रहे
Posted by यशवंत सिंह yashwant singh
Labels: नाता तोड़ा, पंडित सुरेश नीरव, भड़ास, विदाई, हरे प्रकाश
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9 comments:
यशवंत जी बड़ा दुख हुआ भड़ास के दो सशक्त स्तम्भों के विरत हो जाने की ख़बर से...वैसे लोकतन्त्र में सभी को अधिकार है साथ चलने या अलग होने का ..लेकिन किसी भी भड़ासी के लिए भड़ास का लोकतानेत्रिक होने पर होने वाले गर्व पर आक्षेप है ये..इसलिए मैं आपके माध्यम से दोनों ही वरिष्ठजनों तक अपनी बात पहुचाना चाहता हूं कि ..दोनों को उनके इस कठोर निर्णय के लिए हार्दिक बधाई...वो इसलिए कि देर रात तकरिबन चार बजे के करीब मैने भड़ास पर अपनी पहली पोस्ट डाली थी ..तब तक पं सुरेश नीरव जी अपनी पूरी चमक भड़ास पर बिखेर रहे थे..लेकिन सुबह होते ही उनकी इच्छानुरूप ब्लाग से उनकी हर निशानी को मुक्त कर दिया गया...ये साबित करता है..कि भड़ास पूर्तय3 लोकतान्त्रिक है..ये घटना थीक उसी तरह से है..जैसे एख बड़े तूफान के बाद इंसान की ताकत की पहचान होती है...पूरी उम्मीद है कि भड़ास पर आये इस छोटे से तूफान से दोनों ही अनन्य साथियों के साथ भड़ास की किस्ती मझधार से निकाल लायेंगें....क्योकि हमें सच्चाई के मनकों को जोड़ना है..उन्हें तोड़ना नहीं..
ईश्वर सभी को ताकत दे..औऱ स्वतन्त्र अभिव्क्ति की क्षमता भी
दादा,विदाई मात्र वेबपेज से हो सकती है पर हमारे दिलों में जो रचे-बसे हैं उसे कैसे खुरच कर निकाला जा सकता है,कारणों का होना अपनी जगह है और परिणामों का होना अपनी जगह;ये तो मात्र भड़ास पर ही संभव है। विश्वास है कि हरे भइया और पंडित नीरव जी ने इतने अच्छे कर्म तो किये नहीं है कि उन्हें मोक्ष प्राप्त हो जाए इसलिये पूर्ण विश्वास है कि पुनः भड़ासलोक में अवतार लेंगे और फिर........
जय जय भड़ास
Yashawant bhai,
Hare bhai aur Neeravji kee aakasmic
vidaai behad dukhdaai hai.Par main
samajhtaa hun ki,
Kuchh to mazbooriyan rahi hongi
Yun koi bewafaa nahin hotaa.
Ooparwaale se dua kartaa hun ki hum
bhadasiyon ko is dukh ko sahne kee
shakti de.
Jai Bhadaas
Maqbool
बंधुओं,
मैने नारद पर यह कड़ी देखी कि "हरे भाई और पंडित नीरव जी नहीं रहे"| मैं इनमे से किसी को व्यक्तिगत रुप से नहीं जानता, परंतु ब्लाग्स में आवागमन करने के कारण नाम सुने हुये से लगे।
इसी कारण चला आया कि देखुँ अचानक क्या घटना/दुर्घटना हुई है। यहाँ आया तो पता चला कि दरअसल वे लोग अब "भड़ास" पर नहीं रहे - क्या आप लोग वाकई यही लिखना चाहते थे या गलती से शीर्षक में से "भड़ास" शब्द छुट गया?
विजय वडनेरे
(http://vijaywadnere.blogspot.com)
दादा किसी के चले जाने से भड़ास पर कोई फर्क नही पड़ता. भड़ास एक सच्ची ज़िंदगी की तरह है. जिसमे अब तो आना जाना लगा ही रहेगा. भड़ास को जो उद्देश्य बन गया है वो सुच्च में लोगों के एक अच्छे कंटेंट और व्याख्यान से लाख गुना अच्छा है. वैसे कविता और साहित्य सिर्फ़ पढने और सुनाने में कुछ पल के लिए ही अच्छे लगता हैं. इसके बाद उनका वास्तविक जीवन से कोई सरोकार नही रह जाता. ये सब फ़िल्म की तरह है पर जो सत्य है वो भड़ास है जिसके लोगों में एक दूसरे का सहयोग छुपा है. आप को जानकर हैरानी होगी मेरी जिस फ्रेंड ने करुनाकर को १००० रुपये दिए हैं. उसके पति एक सॉफ्टवेर इन्जीनीर हैं. जब से उन्होंने भड़ास की इस मुहीम को देखा है उसके कायल हो गए है.
दद्दा,
आने जाने वालों को ना तो आज तक किसी ने रोका है ना रोक सकते हैं. ये तो ईश्वरीय माया मात्र है. मगर दुखी हूँ. सच में डॉक्टर रुपेश ने सही लिखा है हमारे वेब पेज से जा सकते हैं मगर दिलवा का का करें जिसमे पंडित जी का कवितवा डांस मरे है और दादा उसमें डांस करे है.
जो भी हो वाकया दुखद है मगर उम्मीद की नया सवेरा जरूर आएगा और ये लोग भडासगामिन ही होंगे,हमारे साथ ही दिखेंगे
जय जय भड़ास
अरे हम तो ज़िदा हैं सो फिकर मत करो मेरे नाहरो.
आगे बड़ो और दुश्मनों की गाड़ में हल चलाओ.
यशवंतजी भड़ास को जितनी भी समसामयिक विषयों पर ग़ज़लें चाहिए भेजता रहूँगा.
यार भड़ासियों की अपनी पहिचान है कोई बनावट नहीं उनका दिल दरिया गांड समंदर. हर एक के ग़म में खड़े.हम तो गिल दे चुके सनेम.डॉ.रुपेशजी का ब्लॉग नियिमत पढ़ता हूँ.बहुत ही काम की सामग्री रहती है.
डा.भदौरिया साधु... साधु....
हम भड़ासी हल से बचे रहेंगे क्योंकि समंदर में हल चलाया ही नहीं जा सकता,मेरे ब्लाग से अगर किसी का भी भला हो तो प्रयास सार्थक होगा;आपकी गजलें भड़ास में औषधि तुल्य रहेंगी... प्रतीक्षा है....निर्निमेष...
"बड़े दुख के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि हरे भाई और पंडित सुरेश नीरव जी अब नहीं रहे।"
इससे दुखद समाचार कोई हो ही नही सकता ! पर नियति ने किसी को भी नही छोडा है !
यश्वंत्जी बडा ही ह्रदय विदारक समाचार आपने दिया सै ! परमात्मा उन दोनुओ की आत्मा नै
शांति प्रदान करै ! और हम घर् वालो को दुख नै बर्दाश्त करण की ताकत दे ! या ही म्हारी इश्वर तै
प्रार्थना सै !
इब्बी पांच सात दिन पहले ही हमनै डा. साब तै मरण के बाद जिंदा होण की दवा पूछी थी सो मिल गी होवै तो इन पर ट्राई करी जा सकै सै ! और आप लोग उचित समझो तो एकता कपूर धोरे भी काला जादू कै बारे मै पूछ्या जा सकै सै !
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