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9.10.08

भगतसिंह देशभक्त और गुरु गद्दार!'

अमिताभ बुधौलिया 'फरोग'
जब आतंकवादियों की तुलना भगतसिंह जैसे देशभक्तों से होगी, तो सिमी जैसे संगठन सिर उठाएंगे ही?' पिछले दिनों देशभर में हुए बम धमाके आतंकवादियों के बढ़ते हौसले की ओर इंगित करते हैं। दरअसल, लोगों में भय बैठने की सबसे बड़ी वजह आतंकवादियों को 'तथाकथित भारतवासियों' से शह मिलना है। 13 दिसंबर, 2001 में भारतीय संसद भवन पर हुए हमले के मुख्य आरोपी अफजल गुरु के बचाव में आंदोलन छेडऩा इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। गुरु के फेवर में एक बड़ी लॉबी ने मुहिम चला रखी है। 20 अक्टूबर,2006 को सुबह 6 बजे अफजल को फांसी दी जानी थी, लेकिन भारतीय लोकतंत्र का दुर्भाग्य गुरु जिंदा है और अब वह आतंकवादियों का आदर्श बन गया है।अफजल गुरु के फेवर में 'साइबर वार' ने स्पष्ट कर दिया है कि गद्दार कहीं और नहीं, हमारे बीच ही मौजूद हैं। गुरु के फेवर में कूदे संगठन वेबसाईटस की हेल्प से दुनियाभर में समर्थन जुटाने में लगे हुए हैं। एक 'वेब फोरम' में लोगों ने अपने व्यूज देते हुए लिखा है कि गुरु और भगत सिंह की मुहिम एक सरीखी थी, फिर एक फ्रीडम फाइटर और दूसरा आतंकवादी कैसे हो सकता है?
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2 comments:

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

ye to kursi or vote ke liye apna jammer bech chuke hain

Anonymous said...

भाई,
ये तो होना ही था,
दोनों पक्षों के ठेकेदार जो बीच में आ गए हैं, एक कहता है देश हिंदू का है और बस हिंदूवादी सामंतवादी नजराने पेश कर रही हैं, धर्मनिरपेक्षता के नाम पर दूसरी बेसुरी आवाज का ये ही रोना है, राष्ट्रधर्म को त्याग कर दोनों पक्षों का अपना अपना बीन बजाना दुखद है.