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1.10.08

गांधी की स्मृति में अहिंसक प्रार्थना

देवता देख लें
समझ लें कर लें चिंतन
बाद में उनका स्यापा
माना नहीं जाएगा
कि मैंने जो किया गलत किया
यह वह शहर है
जहां देवता भी दिखायेंगे बुजदिली
तो शामिल कर लिए जाएंगे
गुनहगारों की जमात में
देवता देख लें समझ लें और सुना दें
अपने हथियारों उपकरणों से निकलने वाला
तमतमाता हुआ अंतिम फैसला
उनके अंत से पहले

मैं प्रार्थना जरूर कर रहा हूं मगर
देवताओं, तुम्हें सुनने के लिए....

पवन निशान्त
http://yameradarrlautega.blogspot.com

2 comments:

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

sab bhul gaye hain

Anonymous said...

भाई,
बहुत सुंदर लिखा है, आइये हम सब मिलकर इसे दुहराते हैं.
जय जय भड़ास