- हृदेश अग्रवाल
भाई रजनीश आपको यह बता दें कि आपको कोई हक नहीं कि आप कि धर्म या उसके आराध्य श्री राम को गाली देने का। आपने जो लिखा है वह गलत है कि भारत की संस्कृति के जन नायक ही नाजायज औलाद के अग्रेता. जब राम के बाप का पता नही तो कैसी संस्कृति की दुहाई। रजनीश जी आप अल्पसंख्यकों व गद्दारों जैसी बातें कर रहे हैं जो कि आप न करें।लाइव इन रिलेशनसिप पर महाराष्ट्र सरकार ने संसदीय बैठक में जो प्रस्ताव पारित किया है उस प्रस्ताव के द्वारा महाराष्ट्र सरकार ने हमारी वर्षों से चली आ रही संस्कृति और सभ्यता को गाली दी है। उस प्रस्ताव में सीधा दिया गया है कि अगर कोई लड़का-लड़की कई वर्षों तक शादी से पहले साथ में रहते हैं तो उन्हें पती-पत्नि का दर्जा दिया जाएगा लेकिन हमारी सरकार यह क्यों भूल गई कि हमारे देष में चली आ रही सभ्यता और संस्कृति व बुजुर्गों द्वारा बनाए गए रीति-रीवाज को बदलने का हक किसी संस्था, संगठन व सरकार को नहीं है यह हमारी सभ्यता व संस्कृति के खिलाफ है जिस पर केन्द्र सरकार को तुरंत कठोर कार्यवाही करनी चाहिए। आज वैसे ही हमारे देश में रेव पार्टियों के नाम पर लड़के-लड़की नंगापन कर रहे हैं, धार्मिक स्थल और पर्यटक स्थल पर भी यह नंगापन देखने को मिल रहा है जिस पर सरकार कोई कानून तो बना नहीं पा रही और बदले में एक नया प्रस्ताव जारी कर दिया कि लड़के-लड़की अगर बिना शादी कई वर्षों तक साथ में रहते हैं तो उन्हें समाज में पती-पत्नि का दर्जा दिया जाएगा। महाराष्ट्र सरकार यह क्यों भूल जाती है कि उन्हें कोई हक नहीं कि हमारे देष में भारत की सभ्यता को खत्म कर बाहरी मुल्कों की सभ्यता को अपनाएं जहां पर बिना शादी के लड़के-लड़की साथ रहते हैं और कुछ वर्षों बाद लड़का लड़की को छोड़ किसी और लड़की के साथ रहने लगता है। ऐसे में क्या सही होगा कि लड़की को अगर लड़का छोड़ देता है तो उसे गुजारा भत्ता मिले और लड़की बोझ बनकर गुजारे भत्ते से पूर्ति करती रहे। क्या लड़कियां इसलिए ही होती है जब चाहा अपने साथ रखा और जब चाहा छोड़ किसी और को अपने साथ रखा। बल्कि बिना शादी के इस प्रकार रहने वाले लड़के-लड़कियों को तो कठोर से कठोर सजा मिलनी चाहिए। बल्कि इस प्रस्ताव से तो उनको और आजादी मिल जाएगी, और वह भारत में विदेशों जैसा नंगा नाच करेंगे और हमारे देश संस्कृति और सभ्यता का यह एक मजाक होगा।
8 comments:
मैने किसी को गाली नही दी है अपितु आपका चेहरा दिखाया है की राम उस पिता के पुत्र थे जो नपुंशक था, सेब से राम की उत्पत्ती, आप इन फतांसी को संस्कृति के नाम पर लोगों पर ना थोपें. बनिए ना कभी इस देश में किसी धर्म के ठेकेदार हुए ना होंगी, सनातन काल से अपनी बनियागीरी चमकाने वाले आज धर्म के नाम पर अपनी इच्छाएं थोप रहें हैं जो उनके बीवी बच्चे तक नही मान रहे हैं तो बाकी की क्या बात,देश को धर्म से मत जोडो.
जय हिंद
जय भारत
जय हिंद
धर्म छोङ कर देश का,होता सत्यानाश.
रजनीश झा को देख लो,करता आत्म-विनाश
करता आत्म-विनाश,राम ही निकला इसका.
ईहलोक-परलोक, समूचा बिगङे इसका.
कह साधक कवि,कौन बचा है धर्म छोङकर
करते सत्यानाश देश का धर्म छोङकर.
bhai sahab aapne bahut badhiya lika hai bina kanun ki ladake and ladakiy nange nach kar rahi hai ager kanoon ban jayega to hamare desh me vesyabriti badh jayegi
ashish singh
भाई ये ध्यान न दीजिये कि कितनी नंगी हो रही है, ये ध्यान न दीजिये कि कौन हमारे आराध्यों को कितनी गाली दे रहा है, ये ध्यान न दीजिये कि हम क्या हैं........ लोगों का काम है कहना. आराध्यों के अस्त्तित्व पर सवाल उठाने वाले शायद ये नहीं जानते कि वे जिस बाप कि औलाद हैं उसकी शक्ति का परीक्षण उन्हों ने नहीं किया है, ये उनको बताया गया है कि वे फलां बाप की औलाद हैं................वैसे अब तो डी एन ऐ टेस्ट भी होता है.......बेचारे राम उस समय जन्में जब ये सब नहीं था...........क्या इस सेब वाली बात को आज के टेस्ट-ट्यूब बेबी कि संकल्पना से जोड़ कर नहीं देखा जा सकता पर नहीं गली देनी है तो देनी है......................
टिप्पणी बड़ी पेलमपेल वाली हो जायेगी अब बंद......... आप तो लिखे रहो,
अपने अपने आराध्य सभी को प्यारे हैं, जहां तक सवाल लिव इन रिलेशनशिप को मान्यता देने का है तो जो चीज़ अभी तक चोरी छुपे हो रही थी, अब
सरकारी मान्यता से होगी। अच्छा ही है ना
महिला सशक्तीकरण की ओर एक कदम ही तो है ये। पहले इस प्रकार के रिश्ते से लडकियों को नुकसान था, अब कम से कम वो अलग होने की स्थिति में गुज़ारा भत्ता तो ले सकती हैं।
और रही बात पुरुषों की तो उनकी तो लग गई लंका...
rajnish me himmat hai to kisi or dharm ke baare me tippani kar ke dikhaye unko aate dal ka bhav malum ho jayega. agar usko nahi pata to sriganganagar aa jaye unko dikhayenge ki ki karan se dera sachcha soda or sikho me vivad huaa tha. agar kisi or dharm ke bare me aisa kha hota to abhi tak pata nahi kya kya jari ho gya hota.yahan to afjal ko fansi nahi dete rajnish jee ka koi kya kar lega. shayad bahut bade patrkar hain ya kisi bahut bade father ka saput. very good tajnish jee
आज पश्चिमी देश तो अपनी संस्कृति अपनाते जा रहें है और हम....बताते हुए भी शर्म आती है जो जितना पढ़ गया वो उतनी ही अधिक गाली देता है...अपने देश और धरम को......कभी ये कहते राम नही थे....कभी कुछ और......विदेशी लोग इन सब तथ्यों को मान्यता दे रहे है और हमने एक फैशों बना लिया है...जो ज्यादा गाली देगा वो उतना ही अधिक बुधुजिवी कहलायेगा......... रजनीश ... जी झा भी इसी लाइन ......पर चल रहें है....शायद व भी जल्दी पर्शिध होना चाहते है......रजनीश.....
पाकिस्तान भारतीयों को भाड़ में जाओ तुम जाएगा
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