ऐसा लगने लगा है कि मानो भारत को किसी की नजर लग गई हो, क्योंकि पहले अंग्रेज, मुगल शासन, अंडरवर्ल्ड फिर
आतंकवाद। अब माओवादी किसी न किसी शक्ल में हमारे देश में घेरे हुए हैं, सोने की चिड़िया कहे जाने वाले देश भारत को अंग्रेजों व मुगलों ने मिलकर बर्वाद किया, आजादी के बाद अंडरवर्ल्ड फिर पाकिस्तान ने
कश्मीर को भारत से छीनने की कई बार आतंकवाद के रूप में कोशिश की जो हर बार नाकाम रही, लेकिन सबसे बड़ी बात तो यह है अब भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (भाकपा या माओवादी) अब हमारे देश पर निगाह गढ़ाए हुए बैठी है कहीं जाकर थोड़ा सूकुन मिला तो नया मामला यह कि माओवादी नेता सब्ससाची पांडा उर्फ सुनील ने कहा कि कबूला की हमने ही लक्ष्मणानंद को मारा है और अब हमारे निशाने पर भाजपा नेता लालकृष्ण आडवानी, विश्व हिन्दू परिषद नेता अशोक सिंहल व प्रवीण तोगड़िया हैं जो भड़काऊ भाषण देकर देकर देष में नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं। इसीलिए अब हम इन तीनों नेताओं को जान से मार देंगे। माओवादी नेताओं को एक बात समझना चाहिए कि अगर यह तीनों नेता भड़काऊ भाषण देते हैं तो आप क्या नया करते हैं आपने भी तो वही भड़काऊ बात बोली न कि तीनों कट्टर हिन्दु नेताओं को मार देंगे। अब लगता है कि माओवादी नेता देश के हित में न बोलकर आतंकियों के हित की बात कर रहे हैं। अब आतंकवादियों के साथ उनकी श्रेणी में आ रहे हैं माओवादी।
हमारा तो यही कहना है कि
जो हिन्दू हित की बात करेगा, वही देश पर राज करेगा।।
साधु-संतों का यह अपमान, नहीं सहेगा हिन्दुस्तान।।
वहीं अल्पसंख्यक आयोग एक ही बीन बजा रहा है कि बजरंग दल पर प्रतिबंध लगना चाहिए क्योंकि इन्होंने ईसाईयों के चर्चों व घरों पर हमला किया, लेकिन अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष मो. शफी यह नहीं जानते की जब कोई हमारे साधु-संतों व गुरूयों पर हमले करता है तो क्या हम उसका बदला नहीं लेंगे क्या हमने हाथों में चूड़ियां पहन रखी हैं। अगर हम चर्चों पर हमले करते हैं तो क्या हमारा या हमारे संगठन का विरोध नहीं किया जाता। तो यह कहना बंद करें कि बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाया जाए क्योंकि बजरंग दल पर प्रतिबंध का मतलब है कि सिमी जैसे आतंकी संगठन को बढ़ावा देना और हमारे देष में ही हमको मौत के घाट सुलाना। , और यह हम कतई बर्दास्त नहीं करेंगे कि कोई भी आतंकी संगठन हमारे देश में एड्स की तहफ अपने पैर फैलाए। इसको बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल और षिव सेना जैसे संगठन दवा का काम कर रहे हैं जो इन्हें करने दिया जाए।
3 comments:
ye hui naa mardon wali baat, go a head i am with u kalyan ho
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आतंकवाद और धार्मिक उन्माद, इस देश को किसी की नजर नही लगी है अपितु ये दो रोग ने हमारे देश को दुखी मातृ कर रखा है, और हाँ धार्मिक उन्मादी हों या आतंकी, हमारा राष्ट्र इतना मजबूत है की इन टुच्चों के टुच्चेपंथी से कुछ नही उखड़ने वाला है.
हमारा देश लगे हुए दीमक को मरना जानता है.
जय जय भड़ास
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