आपकी कविता सुनने आज हम पधारे हैं
आपके स्वागत में चाँद और सितारे हैं
आपकी मधुवनी सुन कोयल भी लजाती है
बेमौसम वर्षा होती, कलियाँ भी खिल जाती हैं
छंद पर अधिकार आपका नवरस के हो निर्माता
आपके इशारे पर चलते फिल्मी लेखक और निर्माता
आपकी कविता में श्रंगार रस जब आता है
सोते से उठकर गधा भी नाचने लगता है
वीर रस की पुकार सुनकर कुत्ते दोड़ने लगते हैं
घोडे भी खड़े खड़े आपस में लड़ने लगते हैं
विभत्स कविता जब होती भूकंप के झटके लगते हैं
करुण-रूदन रस सुन सुन कर, पत्थर भी रोने लगते हैं
हास्य कविता कवि सम्मलेन में कम आप सुनाते हैं
बरना हँसते-हँसते श्रोताओं के हार्ट फ़ेल हो जाते हैं
वात्सल्य रस जब आप सुनाते भक्त के आंसू झरते हैं
खुश होकर भगवान भी कवियों की वर्षा करते हैं
3.10.08
कवियों की वर्षा
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