मुंम्बई मेरे बाप की है: उद्धव ठाकरे
उत्तर भारतीयों को तो अभी ट्रेलर बताया था। अभी और कहानी बाकी है।: राज ठाकरे
मैं अगर मुख्यमंत्री होता तो नैनो परियोजना को कभी गुजरात नहीं जाने देता: राज ठाकरे
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मनोज कुमार राठौर
भारत देश किसी के बाप का नहीं है और न ही इसमें निवास करने वाली जनता पर किसी प्रकार का प्रतिबंध है। भारत देश के प्रत्येक नागरिक को स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है। पर न जाने क्यों मुंबई को ठाकरे सदस्यों ने अपनी जागीर समझ रखी है।
शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे आतंकवाद के नाम पर काग्रेंस सरकार पर कीचड़ उछाल रहे हंै, तो उनके सुपुत्र उद्धव ठाकरे मुंबई हमारे अपने बाप की कहने से नहीं चुक रहे हैं। उद्धव के चचेरे भाई और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे खुलेआम कहते हैं कि मराठी बनाम बाहरी मुद्दे का तो यह ट्रेलर था। अभी और कहानी बाकी है। इन त्रिमुर्ति की बयानबाजी गंदी राजनीति की व्याख्या कर रही है। इन्होंने तो राजनीति की परिभाषा ही बदल दी। जो राजनेता देश के सुरक्षा और शंति के लिए शपथबद्ध हंै आज वहीं लोकतंत्र की गरिमा भंग कर रहे हंै। लगता है कि सभी नेता क्षेत्रवाद, भाषावाद, जातिवाद, धर्म और समुदाय को लेकर चुनावी अखाडे़ में उतरते हैं। आज देश के विकास के रास्ते में अवरोध बने नेताओं ने तो देश को अपनी निजी सम्पति समझी है। शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे ने आखिर अपनी भड़ास निकाल ही दी। मुंबई के दशहरा के अवसर पर आयोजित शिवसेना की रैली में कई लोगों पर एक साथ निशाना साधते हुए उन्होंने यहां तक कह दिया कि मुंबई तो मेरे बाप की है। बेटे की ऐसी बयानबाजी से शायद बाप की छाती गर्व से फुल गई हो, लेकिन बेटे की यह टुचची हरकत क्या बताना चाहती है? मुझे तो ऐसा प्रतीत होने लगा है कि मुंबई को बारिस मिल गया है। मुंबई पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने उद्धव को चेताते हुए कहा है कि मुंबई किसी के बाप की नहीं है। अब लगता है केंद्र सरकार को ऐसी अपमानिय बयानबाजियों पर कोई नया कानून बनाना पड़ेगा।
भाषावाद को आग देने वाले मनसे के प्रमुख राज ठाकरे ने अब उत्तर भारतीयों के खिलाफ आंदोलन तेज करेंगे। मराठी बनाम उत्तर भारतीयों पर राजनीति करने वाले राज ने कहा कि अब तक जो हुआ, वह ट्रेलर था। अभी और कहानी बाकी है। एक आनलाइन मराठी अखबार के इंटरएक्टिव सेषन में राज ने कहा आप पेइंग गेस्ट बन कर आएं और घर पर ही दावा जताने लगें तो यह बर्दास्त नहीं किया जाएगा। महाराष्ट्र में नौ करोड़ मराठी हाशिये पर हैं ओर बाकी दो करोड़ बाहरी लोग मजे कर रहे हैं। राज ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा स्पष्ट करते हुए यह भी साफ कर दिया कि मनसे लोकसभा चुनाव लड़ेगी। राज ने तो वजनदारी में यह तक कह डाला कि अगर वह मुख्यमंत्री होते तो नैनो परियोजना को कभी गुजरात नहीं जाने देते।
ठाकरे ने भारत देश की राजनीति की परिभाषा ही बदल दी है। अब ऐसा लगता है कि फिर से अंग्रेंजो का प्रबल दौर आएगा और इसकी शुरूवात हमारे देश के अपने ही करेगें।
13.10.08
ठाकरे की दादागिरी
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5 comments:
ये सारे के सारे ठाकरे मानसिक रूप से दिवालिये हो चुके है..इनकी बातों को नज़र अंदाज़ किया जाना..चाहिए....ये मुंबई से बहार जायें तो इन्हे पता चले...क्यूंकि अपनी गली में कुत्ते भी.....समझ गए ना...रजनीश परिहार..
कुत्ते और शेर के बजाय इंसानियत की दुहाई हो तो बेहतर,
INKA MUKABLA SADKON PE KARNA PADEGA MUMBAI KEE.IS JAHAR KO SERIOUSLY LEN.
par Nano kahan kisi Marathi manoos ki hai? Woh to Gujrat se aaye ek Parsi ki company hai.
Nano Maharashtra main kyun? Woh to Gujrat se aaye ek Parsi hi hai
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