Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

14.2.08

बड़े प्यारे होते हैं दारू पीने वाले....

बड़े प्यारे होते हैं दारू पीने वाले ,ऐसा जब भी मैं कहता हूं तो कुछ लोग मेरा विरोध कर सकते हैं । थोड़ा सा आयुर्वेद उगल देता हूं तो आप लोग समझ लेंगे कि मैं क्यों ऐसा मानता हूं ।
सुरासार यानि अल्कोहाल का जो देह पर प्रभाव होता है वह तो सब को दिखाई देता है लेकिन जो मन पर घटित होता है वह दिखता नहीं है । आपने देखा होगा कि जो लोग शराब पी लेते हैं उनमें से कुछ चढ़ जाने पर बड़बड़ाते हैं ,कुछ शान्त हो जाते हैं । वस्तुतः उस समय जो विचार मन में रहते हैं वे व्यक्ति के स्वभाव के अनुसार मुखर होने लगते हैं और जो कुछ भी अंदर दबा रहता है वह बाहर आने लगता है । मेरे गुरूदेव शराबियों से बहुत प्रसन्न रहते थे और हम सब को एक झेन गुरू की कथा सुनाया करते कि एक बहुत बूढ़े हो चुके झेन गुरू की अत्यंत सुन्दर युवा पत्नी थी । जो भी दीक्षा के लिये गुरू के पास आता तो गुरू उससे कहते कि दीक्षा तो दे दूंगा लेकिन परम्परा के अनुसार चलो पहले गुरू-शिष्य मिल कर शराब पीते हैं फिर आगे की क्रिया करेंगे । पहला पैग अंदर जाता तो शिष्य खुलना शुरू हो जाता ,तीसरे पैग तक तो शिष्य की भाषा ही बदल चुकी होती थी, "बुढ़ऊ दीक्षा की किस चूतिया को जरूरत है वो तो तेरी खूबसूरत जवान बीवी मुझे यहां खींच लाई है ,अबे तू उसे कैसे सम्हालता होगा तेरे तो दोनो पैर कब्र में लटक रहे हैं....वगैरह वगैरह.....। "
जब लोग सत्य बोलने लगते हैं तो उनका आत्मिक सौन्दर्य निखर कर सामने आ जाता है । अब इतना जान कर भी मैं दारू पीने वालों को बुरा कहूं तो ये बिल्कुल गलत होगा क्योंकि एक सत्य यह भी है कि उनके कारण बहुत से गरीब डाक्टरों के घर का चूल्हा जलता है । इसलिये भाई लोग अगर पीते हो तो बुरा क्या है पिए जाओ । मेरे एक कट्टर बेवड़े मित्र श्री मिलिन्द कामत (उसके प्रति ये आदर इसलिये है क्योंकि अब तक मैंने उसे गैलनों दारू पी जाने के बाद भी बहका हुआ नहीं देखा ,उसका कहना है कि जिस दिन चढ़ गई उस दिन छोड़ दूंगा ) का कहना है कि ये अगर बुराई है तो आओ इसे मिल कर खत्म कर दें जितनी जल्दी हो सके सारा चखना और दारू ऐसे साफ़ कर दो जैसे हमारे जवान दुश्मनों को साफ़ कर देते हैं । इन भाई का यही जज़्बा मुझे उनके प्रति आदर बनाए रखने को मज़बूर करे रहता है ।
जय जय भड़ास

3 comments:

Sanjeet Tripathi said...

भाई सिर्फ़ हेडिंग ही पढ़कर टिपिया रहा हूं क्योंकि फिलहाल एक बॉटल रेड वाईन लगी हुई है बाकी कल पढ़ लूंगा, टेंशन नई लेने का हां ;)

Urban Jungli said...

दारू पिये आदमी की कोई गलती नही होती, यह तो हम भी मानते है।
http://am-an.blogspot.com/2007/10/blog-post_25.html

Cheers.. ;-)..

डॉ .अनुराग said...

sheershak padhkar vakai is lekh ko padne ka man kiya...kambhakhta daru cheez hi aisi hoti hai.