शीर्षक से कई लोगों को आपत्ति हो सकती है। पर कुछ लोगों ने वाकई हद कर दी है। देश का चौथा स्तम्भ कहलाने वाले इस पेशे को मटियामेट कर इसे खम्भा बनाने की पुरी कोशिश की जा रही है। हो सकता है की जो देश के तथाकथित बड़े पत्रकार हैं वह एक नई पत्रकारिता गढ़ रहे हों। पर यह वाकई इस पेशे से दुष्कर्म जैसा है। यहाँ मैं प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक दोनों पत्रकारिता की बात कर रहा हूँ। इलेक्ट्रोनिक मीडिया ने तो ब्रेकिंग न्यूज़ को अपने घर का दामाद ही बना लिया है। अब आज की ही बात ले लीजिये। राखी सावंत ने अपने प्रेमी को थप्पड़ मारा तो यह देश के सबसे तेज न्यूज़ चैनल की ब्रेकिंग न्यूज़ बन गई। इस चैनल ने इस पूरे ड्रामे पर एक विशेष कार्यकर्म तक दिखा डाला। जबकि यह सबको मालूम है की यह पुरा ड्रामा केवल और केवल पब्लिसिटी स्टंट था। जिस प्रकार वो सारा ड्रामा दिखाया गया निश्चत रूप से राखी ने उसके लिए कई दिन तक प्रेक्टिस की होगी अब ये उन महान लोगो को कौन बताये। ये हाईटेक पत्रकार तो बस मॉल बेचने मी जुटे हैं। यही करना है तो मेरी राय है की न्यूज़ चैनल बंद कर कोई ड्रामा चैनल खोल लें। लेकिन इस पेशे को स्वरूप को बिगाड़े नहीं। कुछ लोगों का तर्क हो सकता है की आख़िर २४ घंटे तक न्यूज़ ही तो नही दिखाया जा सकता ना। हाँ ये सच है लेकिन इसका विकल्प वो चीजें हैं जीना ख़बर से कोई रिश्ता ही नही। क्या सांप, भूत, ड्रामा दिखाना पत्रकारिता है।
अब बात करते हैं प्रिंट मीडिया की। लोकलीकरण के नाम पर अख़बारों में जो गंदगी भरी जा रही है वह वाकई में शर्मनाक है। रास्ट्रीय स्तर के अख़बार जब येसा उदाहरण पेश करेंगे तो यह पत्रकारिता के गांड मारने जैसी ही बात है। अख़बार का पहला पन्ना उस अख़बार की सबसे सजी और काबिल लोगों के हाथों बनाईं जाती है।जब पहले पन्ने पर ही नाली, कुदे और समस्याओं का अम्बार रहेगा और वह भी लोकल तो आप काहे के रास्ट्रीय अख़बार। और आप किसे बेवकूफ बना रहे हैं। अपने आप को। मेरे कहने का मतलब बस इतना है की सब कुछ कीजिये मगर पत्रकारिता को पत्रकारिता रहने दीजिये। माना की वक्त बदल रहा है चीजें बदल रही हैं लेकिन ख़ुद को बदलिए ना की पेशे के स्वरूप को।
पत्रकार सथिओं एक मुहीम चलाओ और पत्रकारिता को उसका खोया स्वरूप वापस दिलाओ।
अबरार अहमद
14.2.08
गांड मार लो पत्रकारिता की
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9 comments:
सच्ची और खरी बात लिखने के लिए बधाई...
नीरज
अबरार भाई, बिल्कुल सही शीर्षक है जिन्हे आपत्ति होगी वे बस चौथे स्तंभ को सुस्सू करके गीला करने वाले ही होंगे ,इसे मज़बूत करना उनके बस की बात नहीं है ।
बिल्कुल सही बात है। अब आप इस फोटो मे ही देखिये क्या क्या ब्रेकिंग न्यूज़ आती है।
http://img98.imageshack.us/img98/5986/image001fb1.jpg
जनाब शुरुआत कौन और कहां से करेगा, दिक्कत यही है
मीडिया सेंटर में आपसबका स्वागत है.
बस एक ईमेल करिए-visfot@visfot.com
lage raho bhaiji
और किसी को हो न हो आप को खुद अपने शीर्षक पर आपत्ति थी। आलेख के पहली ही पंक्ति में आप ने खुद इसे स्वीकार किया है। आप की बात बहुत वजनी है। लेकिन इसे कहने के लिये भदेस होना क्या जरुरी था। हम चाहते हैं पत्रकारिता अपना दायित्व निभाए, उसका स्तर सुधरे। भाषा भी उसका एक भाग है। आप खूब लिखें, हिन्दी में विरोध के शब्दों की कमी नहीं। मगर भाषा का भी ख्याल करें। मेरी बात बुरी लगे तो टिप्पणी को मोडरेशन में हटा दें।
पत्रकारिता मिशन है पर जरोरत है इसके स्वरुप को वापस खोजने की
पत्रकारिता को कुछ लोगो ने धंधा बना लिया है आपने जो भी अपने आलेख में लिखा है वह सही है, पर अभद्र भाषा का उपयोग कर आपने भी तो पत्रकारिता की गरिमा को ठेस पहुचाई है यह जरुरी नहीं की है की हर गन्दी बात को अभद्र भाषा में ही बोला या लिखा जाय, मेरी बात आपको चुभी हो तो ठीक है और चुभनी भी चाहिय, इस का मतलब आप में पत्रकारिता के गुण है और आप अपने को और समाज को सुधारने का जज्बा रखते है और आप कामयाब भी होंगे क्योंकि एक सच्चे ईमानदार पत्रकार में सच सुनने और गलती होने पर स्वीकार करने व अपने को सुधारने के गुण जरुर होते है
Arun Khosla
G. sec. Press club
Kapurthala
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