भड़ास के वृहदाकार को देखते हुए अब इसके एक के बजाय दो मालिक हो गए हैं। पहला तो भइया मैं खुद ही हूं। अभी जहां भड़ास खड़ा है, वहां तक लाने की पूरी जिम्मेदारी मैंने निभाई है। अब आगे इसकी रफ्तार, गति और दशा-दिशा को तय करने का अधिकार एक और कंधों पर आन पड़ा है। और वे हैं, मुंबई के डा. रुपेश श्रीवास्तव।
जी, डा. रुपेश श्रीवास्तव की भड़ास पर सक्रियता, उनकी भड़ासी प्रतिबद्धता, उनके तेवर, उनकी सोच, उनके व्यक्तित्व को देखते हुए यह निर्णय मैंने खुद किया है। उम्मीद है, सभी भड़ासी साथी डा. रुपेश को इस बड़ी जिम्मेदारी के लिए बधाई देंगे और उनसे उम्मीद भी करेंगे कि वो भड़ास को असल भड़ासी मंच में तब्दील करने और इसकी सदस्य संख्या को लगातार बढ़ाते रहने, सभी को लिखने देने, बोलने देने का अवसर प्रदान करेंगे।
सभी ब्लागर बंधुओं, सभी पाठकों, सभी दोस्तों, सभी दुश्मनों को यह बताते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है कि आज के दौर में जब हर आदमी अपने बगल के आदमी पर भी शक करने लगता है, अपने घर परिवार और दोस्त मित्र पर भी विश्वास नहीं रखता, भड़ास में मैंने बिलकुल नई परंपरा शुरू करते हुए ऐसे साथियों पर भरोसा किया जिनसे मैं कभी मिला भी नहीं हूं। डा. रुपेश को मैं जानता नहीं। उन्हें बस उतना जानता हूं जितना पिछले एक दो हफ्तों में चार पांच मर्तबे फोन पर बात हुई होगी, बाकी उन्हें मैंने भड़ास पर उनके लिखने, उनके कमेंटियाने, उनके टर्राने, उनके हिनहिनाने से ही जाना है।
डा. रुपेश आयुर्वेद के डाक्टर हैं। प्रतापगढ़ के रहने वाले हैं। अविवाहित हैं। समासेवा को रोग है। झुग्गी झोपड़ियों और अनाथों को सेवा देते रहना उनकी ज़िंद व शगल है। जय श्री राम का अभिवदान करते हैं, मुझे उनके भाजपाई होने का शक है पर उम्मीद करता हूं कि वो किसी वाद की बजाय भड़ासवाद को फैलायेंगे, जिसमें सारे वाद निहित हैं। सबसे बड़ी बात की हम भड़ासी मनुष्यता पर विश्वास करते हैं, सहजता और सरलता को जीते हैं, सो डाग्डर साहब जय श्री राम भले अभिवादन में करते रहें, भड़ास के मंच पर उन्हें तो जय भड़ास ही कहना होगा।
खैर, सीरियस बात को भी मजे मजे में कहना और इसमें भी मसखरी खोज लेना हम भड़ासियों का शगल है सो मैंने उनका परिचय कराते हुए थोड़ी जो चिकोटी काटी है, उम्मीद है डाग्डर साहब माफ करेंगे।
डाग्डर साहब, आपको अपनी जीमेल आईडी का पासवर्ड बांटने की बीमारी है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि जो दवा मैंने आपको दी है, उससे यह रोग आपको अब पकड़ेगा नहीं। अब आप भड़ास डिलीट कर सकते हैं, भड़ास को बढ़ा सकते हैं, भड़ास को संवार सकते हैं, भड़ास को बिगाड़ सकते हैं, भड़ास को सुपरहिट करा सकते हैं.....सारी कुंजी आपके हाथ में दे दी है। आपको भड़ास के एडमिन का अधिकार दे दिया है। उम्मीद है, आप पंच परमेश्वर की कुर्सी पर बैठने के बाद सबको न्याय देंगे। मैं भड़ास चलाते चलाते थक चुका हूं, सो थोड़ा ब्लागिंग से आराम चाहता हूं। आप इसे चलायें, आगे बढ़ायें, मेरा आर्शीवाद आपके साथ है।
आप किसी हालत में अपना पासवर्ड की सज्जन या किसी मेल के जरिये मांग गये पासवर्ड संबंधी स्पैम मेल को न देंगे, ये गारंटी करेंगे। बाकी जो ईश्वर की लीला...हम सब तो निमित्त मात्र हैं।
जय भड़ास
यशवंत
6.2.08
भड़ास का एक और मालिक
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5 comments:
अगर बात पंच परमेश्वर की है तो यशवंतजी पांच लोग मोडरेटर होने चाहिए जो ये तय करेंगे क्या ठीक है क्या नहीं। वैसे भी उस दिन मैं मुनव्वर द्वारा गलती से दो बार पोस्ट हुए ब्लाग में से एक ब्लाग हटाना चाह रही थी तो नहीं हटा पाई थी क्योंकि ये सदस्य नहीं कर सकते।
पहली डा.रूपेश जी को भडास का सझीदार बनने पर हार्दिक बधाई दूसरी यशवंत भाई को बधाई कि उन्हाने यह निर्णय कर लिया कि डा.साहब को भडास का साझीदार बनना ही चाहिये और बना दिया आज के समाज में जहां आदमी सब चीज बटोरने में लगा है हर चीज़ पर अपना अधिकार जमाने में लगा रहता है ऐन केन प्रकरेण हर जगह अपने आपको मालिक साबित करने का प्रयास करता रहता है उस समय भड़ास को दूसरे के हाथों में सौप देना तो ऐसा ही दिखाता है कि जैसे एक बाप अपनी प्राणों से प्यारी बिटिया को पढा लिखा कर योग्य बनाकर एक अजनवी के हाथो इस विश्वास से भेज देता है कि वह बिटिया को बाप से ज्यादा प्यार दुलार देगा । यहां पर आपने निसन्देह एक बाप की भूमिका अदा की है आपने जो किया है उसको सिर्फ कोई भडासी ही कर सकता है, उसके लिये आपका पुन:वन्दन । वही पर डा. साहब से गुजारिश है कि वह भडास को यश्वंत भाई के अन्दाज में आगे बडाये
। एक बार पुन: दोनो भडासियों को नमन्
कानपुर से
श्ाशिकान्त अवस्थी
हमारी भी बधाई कबूल कर लें डॉक्टर साहब...
यशवंत भाई,डाक्टर साहब तो जादूगर हैं आपका चुनाव एकदम सही है । मुबारक हो
डा.रुपेश जी का स्वागत है.....
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