प्यारे ब्लॉगर मित्रों और प्यारे भांजे-भांजियों,
मैंने हरिद्वार में ब्लागर्स मीट का प्रस्ताव क्या रखा, धड़ाधड़ उत्साहजनक संदेसे आने लगे हैं, फोनाफानी शुरू हो गई है। ''सांध्य मंस्ती'' अखबार के एकाध पत्रकार को छोड़ दें तो अधिकांश लोग हरिद्वार में ही ब्लागर-संगम यानी बैठक-ए-चिट्ठाकार चाहते हैं। हम भी उत्साहित हैं और कल सुबह यशवंत भड़ासी के साथ चाय पीते हुए प्रोग्राम फायनल कर देने के मूड में हैं। आपके कुछ सुझाव हों तो जल्दी बता दें। ये संगम कब हो और कितने दिन का हो। बातचीत के मुददे क्या हों। हरिद्वार आकर आप क्या कुछ करना चाहेंगे यह देखते हुए कि यह सारा इलाका मद्य और मांसनिषिद्ध है। Blogger's Meet will be without Madira & Meat क्या समझे ?
आपके सुझावों की इन्तज़ार में,
कंस नही, मारीच नहीं, शकुनी नहीं,
पर मामा तो है--
डॉ. कमलकांत बुधकर
2 comments:
मुझे तो मामा शब्द से ही अपने स्व०मामा श्री ओंकार नाथ मधुकर याद आ जाते हैं जिन्होंने बाल साहित्य में काफ़ी लिखा ,आपने तो प्रेम को नया रंग दे दिया.....
थोडा जाडा कम हो जाये लेकिन जल्दी से जल्दी
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