पंडित रामप्रसाद बिस्मिल फाउंडेशन के तत्वावधान में एक सरस काव्य-गोष्ठी का आयोजन नेहरूनगर,गाजियाबाद में किया गया,जिसमे सर्वश्री डॉ.कुंवर बेचैन,पंडित सुरेश नीरव,मृगेंद्र मकबूल एवं गजरौला से आई डॉ.मधु चतुर्वेदी ने काव्य-पाठ किया.गोष्ठी का शुभारम्भ करते हुए प्रसिद्द शायर मृगेंद्र मकबूल ने कहा-
महफिल में आ गए हैं तेरी रज़ा से हम,
जाएंगे तेरे नूर की दौलत कमा के हम।
इसी क्रम को आगे बढाते हुए डॉ.मधु चतुर्वेदी ने कहा-
जी हाँ मैंने पी है जनाब,
ये तुम जानो अच्छा हुआ या ख़राब।
इस खुशनुमा शेर के बाद पंडित सुरेश नीरव ने अपनी बात कुछ इस अंदाज़ में कही-
जब भी दिल से तुझे याद करता हूँ मैं,
खुशबुओं के नगर से गुज़रता हूँ मैं।
नर्म एहसास का रेशमी अक्स बन,
लफ्ज़ के आईने में संवरता हूँ मैं।
इस गोष्ठी को हास्य का मोड़ दिया कटनी से आए प्रकाश प्रलय ने-
सुखी दाम्पत्य का राज़ गहरा है,
पति पूरी तरह बहरा है।
गोष्ठी के अंत में सुप्रसिद्ध गीतकार डॉ.कुंवर बेचैन ने कुछ अलग ही अंदाज़ में अपनी बात कही-
दिल पे मुश्किल है बहुत दिल की कहानी लिखना,
जैसे बहते हुए पानी पे है पानी लिखना।
मकबूल
4.10.08
काव्य-गोष्ठी का आयोजन
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3 comments:
maine to padhkar hi gosthi ka anand le liya bahut bahut dhanyvad.
kavi smmelan aadmi ko urja pradan karte hain
मकबूल भाई,
बहुत बहुत धन्यवाद विवरण के लिए,
पंडित जी के रोचकाना अंदाज और विभिन्न सम्मानित कवियों के पाठ का आपका विवरण ही मुझे वहां होने का एहसास करा रहा है,
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