0 परिवर्तन
बहुत तीब्र न हो
धीरे धीरे हो ।
0 क्रांति वही जो
पब्लिक मन भाये
प्रण निभाए ।
0 अभी देखा है
अभी और देखोगे
देखते जाओ ।
0 सभ्य समाज
सितारे बुलंद हैं
सत्ता पाने के ।
0 लङाई वह
एक भी आदमी न
मरॆ जिसमॆ ।
* किसे ख्याल है
जन- असुविधा का
सब मस्त हैं |
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21.9.11
Haiku kavitayen
Labels: Citizens' blog
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