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6.6.11

Dilli Aap Ke Baap Ki Hai

* दिल्ली किसी के बाप की नहीं -[रामदेव]
    $- नहीं -नहीं , ऐसा न कहिये | वह भारत के बाबा - दाईयों की तो है ही | तो यह आप की तो है  | आप लोग आराम से उसका अमन -चैन मिटा सकते हैं , नींद हराम कर सकते हैं, दिन -रात के धरना -प्रदर्शनों से  |  #

* विधेयक बनाना ,लाना सरकार का काम है, या जन -प्रतिनिधियों का |लोकपाल कमेटी से अन्ना पंचारे को निकाल बाहर किया जाय |इनकी जिद है की इन्ही की सारी बातें मानी जाएँ , जब की हठधर्मिता लोकतंत्र में स्वीकार्य नहीं है | ##

* देश की सिविल सोसायटी को इस काम में मज़ा आने लगा है की कैसे सरकार की नाक में हमेशा दम किये रहा जाये | इसके लिए उनके पास पूरी फुरसत है,और क्षमता तथा संसाधन | लेकिन उनका यह मनोरंजन देश के लिए बहुत मँहगा पड़ने जा रहा है |###

*दरअसल ,अब सबके, ज़्यादातर पेट भरे हैं और जेब भी खाली नहीं |इसलिए अब उनका ध्यान राजनीति के ज़रिये नाम कमाने पर ज्यादा लग रहा है | इसमें कुछ ख़ास लगता भी नहीं है | तो ,यह काम शुरू होता है धरना -प्रदर्शन -जुलूस - नारेबाजी -अनशन - भूख हड़ताल से | फिर समस्याओं का हल कुछ हो न हो नेता के नाम का तो ध्यानाकर्षण तो हो ही जाता है | और क्या चाहिए ?####

* अन्ना हजारे जी ! अब आप धरने पर नहीं , अपने घर में ही बैठिये , प्लीज़ ! #####

* लोकतंत्र को इतना परेशान तो नहीं ही कीजिये, की वह देश छोड़ कर भाग जाय | वैसे ही ये आवाजें अभी चुकी नहीं हैं कि , हम लोकतंत्र के लायक नहीं हैं , यह हमारे खून में ही नहीं है | हम गुलाम ही रहने के योग्य हैं - डंडों से हाँके जाने के उपयुक्त | हमारा कोई लौकिक अनुशासन नहीं है ,न कर्तव्य निष्ठ | भारत वर्ष गुलाम रहने के लिए अभिशापित है | क्या सचमुच ऐसा ही है ? ######

* सबकी अपनी -अपनी सीमा है , सबको उसी में रहना चाहिए | उसे तोड़ने से बही घुसपैठियों को अपना रास्ता बनाने का मौका मिल जाता है | जी हाँ , सत्य और न्याय कि भी एक अवश्य सीमा है | पूर्ण निरपेक्ष कुछ भी नहीं | #######7 

2 comments:

Shalini kaushik said...

bahut sahi kaha hai aapne dilli ka in dharna pradarshno se jo hal ho raha hai uske bare me to sabhi jante hain kintu aam aadmi to pis hi raha hai kabhi bhrashtachar ki chakki me to kabhi dharna pradarshano ki chakki me

Ugra Nagrik said...

Dhanyavad Shalini Ji .