Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

5.2.08

भड़ास और विज्ञापन

भड़ास पर गूगल एडसेंस का विज्ञापन कई बार आए और गए। दरअसल आप सब लोग जिस तरह भड़ास का मेंबर बनने और पोस्ट लिखने में दिमाग लगाते हो, उसी तरह मैं भड़ास से कमाई करने में दिमाग लगाता हूं। जब समझ में नहीं आता है तो गूगल एडसेंस को डिलीट कर देता हूं। मतलब विज्ञापन डिलीट कर देता हूं। आज गूगल की चिट्ठी आई है, भइया अपना पासवर्ड ले लो, पिन नंबर ले लो, और अपनी रकम इसके बाद ले लो। बड़ा खुश हुआ। चलो, हरेप्रकाश उपाध्याय को सर्वश्रेष्ठ भड़ासी कविता के लिए अपनी जेब से एक हजार रुपये देने से बच जाऊंगा। सो, गूगल बाबा के आदेश मानते हुए उनके विज्ञापन लगा दिए, गूगल एकाउंट की औपचारिकता पूरी कर दी। पर अब भी लग रहा है, कई चीजें अपन की समझ से बाहर हैं। हो सकता है, जो विज्ञापन दिख रहे हों, फिर डिलीट हो जाएं। और तो और, ये भड़ास फिर डिलीट हो जाए। ये ब्लाग फिर खत्म हो जाए। जैसे अपन की ज़िंदगी, नौकरी और चूतियापे पर कोई लगाम नहीं है, उसी तरह इस ब्लाग या इस धंधे पर कैसे लगाम रखने की गारंटी कर सकता हूं। हां, मैं चाहता हूं कि ये भड़ास जो अब तक मेरा निजी चूतियापा है, सामूहिक चूतियापा बन जाए। इस बारे में जल्द ही बड़ी घोषणा करने वाला हूं। उसके पहले विचार विमर्श कर रहा हूं। तो दोस्तों, भड़ास पर हो तो ये न मान लेना कि ये भड़ास ज़िंदगी भर यूं ही दिखता रहेगा, हरामजादों और माधड़चोदों की फौज तैयार है, जो भड़ास को खत्म करने पर तुली हुई है, मुजे नष्ट करने पर आमादा है। देखते हैं, कब तक जीते हैं, मैं और भड़ास और आप सब साथी। पर ये जो दौर चला है, लगता है, वो न अब आपके वश में है, न मेरे। सो, यह काफिला बड़ा रिजल्ट देकर जाएगा। चलिए, गपोड़ी टाइप की बात करने की बजाय बात बस यूं ही खत्म कर देते हैं। लेकिन अंतिम बात के बाद, जैसे मैं गूगल एडसेंस लगाना और हटाना सीख रहा हूं, वैसे ही आप भी लगातार नया कुछ सीखो, अपना मूल काम करते हुए। इसमें कोई गलत नहीं है। जो कोई कहता है कि गलत है उसकी बाप की गाड़ फाड़। तो मैं अब भी सीख रहा हूं....

...पर ये जो कोशिश सीखने की है, हिंदी लिखने, मेंबर बनने, ब्लाग बनाने, ब्लाग चलाने, कम्युनिटी ब्लाग चलाने, विज्ञापन लगाने, विज्ञापन से कमाने....वो शायद कुछ बढ़िया ही करिश्मा दिखाएगी, ये मान कर चल रहा हूं। तो, मेरा अनुरोध है कि विज्ञापनों पे ध्यान न दीजिये, उनकी गांड़ में घुस जाइए। भड़ास को स्वालंबी बनाने की कोशिश है ताकि कम से कम भड़ास एवार्ड भड़ास की कमाई से शुरू हो सकें।

आगे के दिनों में भड़ास को लेकर कई महत्वपूर्ण घोषणाएं होनी हैं। इंतजार करिए, और तब तक कहते रहिये...सूअर की औलाद, हरामजादे की जात....

कई गंदी गंदी गालियां देने को जी हो रहा है पर भड़ास में शामिल महिलाओं का ध्यान आ रहा है, सो थोड़ा संयम सीखने की कोशिश कर रहा हूं। मेरे खयाल से ये गलत है...पर कई गलती मजबूरी में की जाती है। बाकी डाग्डर साहब और पंचों की राय...
जय भड़ास...यशवंत

4 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

दादा,इतना कहूंगा कि जब गूगल का गू गल कर अपने भड़ास के खेत में खाद के काम आने लगे तो सब सुन्दर है,जितना मादर-फ़ादर करना है कर लेते हैं फिर कहते हैं कि महिलाओं का ध्यान आ रहा है,जै हो.....
जय भड़ास

Ankit Mathur said...

इंतज़ार रहेगा दादा।
देखते हैं क्या रंग दिखाता है।
भड़ास आंदोलन।
जय भड़ास॥

Ashish Maharishi said...

इस आंदोलन मे हम सब साथ साथ हैं
जय भड़ास

Pankaj said...

इसकी 'माँ की' कौन कह रहा है...ख़तम कर देगा भड़ास को...वैसे दादा आप गाली अच्छा दे देते हो...और बाद में महिलाओं के डर से चुप हो जाते हो...गुड..लेकिन ये तो बताओ..महिलाओं को कौन सी गाली नहीं पसंद है...जो आपने डर से नहीं दी है..?