शहर की तंग बस्ती से काफिला गर गया होगा
किसी मुफलिस का बच्चा फिर कुचल कर मर गया होगा
किसे फुरसत है, उसके हाल पर अफसोस करने की
जो मजदूरी के बदले मार खाकर घर गया होगा
हुई है मौत उसकी छटपटाकर भूख से लेकिन
तुम्हें लगता है कोई कत्ल आकर कर गया होगा
गंगा में नहाकर कार से वो लौट आया है
कभी ये सोच मत लेना कि सचमुच तर गया होगा
जो करजे में ही डूबे हैं, वो क्या डुबकी लगायेंगे
उनकी आस्था का फूल कबका झर गया होगा
वसूली के लिए जब रात में छापा पड़ा होगा
पुलिस को देखकर के गांव सारा डर गया होगा
-अवनींद्र कमल
और अंत में...
शहर की सनसनी में खो गई है याद गांव की
नन्हों को सुनाये लोरियां अब कौन माओं की
3.2.08
उनकी आस्था का फूल कबकी झर गया होगा...अवनींद्र कमल-अंतिम भाग
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1 comment:
wah wah
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