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13.5.08

15 मिनट, 9 ब्लास्ट और 70 जानें फनां

देश की गुलाबी नगरी जयपुर मंगलवार को खून से लतपथ लाल नगरी में तब्दील हो गई। शाम करीब सवा सात बजे से लेकर साढे सात बजे तक दहशत के जो धमाके हुए उन्होंने इस शहर को हिला कर रख दिया। जानकारी के मुताबिक करीब 180 लोग इन धमाकों में घायल हुए हैं। यह धमाके पुरी तरह से सुनियोजित थे। धमाकों के लिए जयपुर के वह इलाके चुने गए थे जो पूरी तरह से खचाखच भरे रहते हैं। यह इलाके जहा एक ओर पर्यटन के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं वहीं मंगलवार होने के नाते इन इलाकों में हनुमान जी की पूजा करने के लिए अधिकांश लोग जमा हुए थे। धमाके उसी तरह किए गए जिस तरह से मुम्बई, हैदराबाद, फैजाबाद आदि शहरों में किए गए यानि इन धमाकों में भी साइकिल का इस्तेमाल किया गया। इन साइकिलों पर विस्फोटक रखे गए थे।
कहीं पर्यटन को निशाना बनाना मकसद तो नही
जम्मू कश्मीर में दहशतगर्दों ने पर्यटन को नुकसान पहुंचा कर वहां के लोंगों को आर्थिक तौर पर कमजोर कर दिया है। इसका असर वहां के लोंगे के रहन सहन और शिक्षा पर पडा है। जाहिर सी बात है जहां जहालत होगी वहां खुराफात तो पनपेगा ही। इसका सीधा असर यह हुआ है कि वहां के नौजवान आतंकवाद की तरफ मुड रहे हैं। दूसरे वहां के हालात खराब दिनों दिन खराब हो रहे हैं और आतंकवाद को बल मिल रहा है। राजस्थान भी पर्यटन की नजर से महत्वपूर्ण राज्य है। ऐसा लगता है कि आतंकवादी अब राजस्थान के पर्यटन को निशाना बनाना चाहते हैं। क्योंकि अगर वहां से भी पर्यटन उठ गया तो राजस्थान के हालात भी करीब करीब जम्मू कश्मीर की तरह हो सकते हैं। एक कारण यह भी है कि राजस्थान की सीमाएं भी पाकिस्तान से सटती हैं।
जागरूक होने की जरूरत
देश में हालात ऐसे है कि हर चौथे पांचवे महिने में कहीं ना कहीं सिलसिलेवार बम बलास्ट हो रहे हैं ऐसे में हम सब के जागरूक होने की जरूरत बढ गई है। अगर जनता जागरूक हो जाए तो ऐसी वारदातों को बहुत हद तक रोका जा सकता है। कहीं भी संदिग्ध बैग या लावारिस सामान के दिखते ही तुरंत पुलिस को सुचित करें। संदिग्ध लोगों पर नजर रखें। एकजुटता दिखाएं और बुराई के खिलाफ जंग को हमेशा तैयार रहें।

4 comments:

KAMLABHANDARI said...

abraarji in sab ghatnao ka pramukh kaaran hai humara lacheela kaanoon .jab tak ushe nahi sudhaara jaayega eshi ghatnaye hoti hi rahengi. aaj sabko pata hai ki chahe kitna bhi sangeen jurm ho mujrim chhut hi jaata hai.ish kaaran dar khatm ho gaya hai.

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

कमला बहन की बात से पूर्णतया असहमत हूं। भारतीय संवैधानिक व्यवस्था का लचीलापन बुराई या कमजोरी हरगिज़ नहीं है। जनता की कमजोरी है जो कि अपने ही द्वारा चुने गये नुमाइंदों के द्वारा कानून का उल्लंघन करने के बावजूद महज जाति-धर्म-भाषा-क्षेत्र आदि के आधार पर फिर-फिर उन्हीं में से लोगों को चुनती है और बस कोसने के अलावा कुछ नहीं करती। रही बात दहशतगर्दी की तो मैं निजी तौर पर मानता हूं कि कोई पैदाइशी आतंकवादी नहीं होता हालात उसे बना देते हैं जब इंसान हिंसक जानवरों को प्रेम से अपना बना लेता है तो फिर दहशतगर्द तो इंसान हैं हमारे आपके जैसे । मैंने खुद सिमी और लिट्टे के कई लोगों को बहुत करीब से जाना है और कईबार तो मुझे ऐसा लगा कि मैं खुद उनके साथ हो जाऊं। छत्तीसगढ़ के डा.विनायक सेन के बारे में क्या ख्याल रखती हैं कमला बहन और आप भाई.....????????
जय जय भड़ास

Anonymous said...

अबरार भाई,
आपने सच कहा और सही सन्देश दिया है, वास्तव में हमें ही जागरूक होने की जरूरत है. सच कहूं तो डॉक्टर साब से मैं सहमत हूँ की खामी सबसे ज्यादा या फिर पूरी की पूरी हम में है. हमारे न्यायपालिका ने हाल के दिनों में जो चंद उदाहरण दिखाए हैं उस से हमारी आस्था न्याय में बढ़ी है. जरूरत है विश्वास जगाने की जो हम खो चुके हैं, अपने आप पर से विश्वास. विनायक सेन को आप चंद अखबारों में पढ़ कर या फिर सरकारी मुजरिम जान कर उन पर कोई राय बना लें तो ये आपके ज्ञान पे प्रश्नचिंह लगा देता है क्योँकी विनायक सेन की असलियत से आप बेखबर हैं.
जब आप छत्तीसगढ़ के सुदूर आदिवासियों से मिलें तो आपको विनायक सेन एक क्रांतिकारी से कम नहीं लगेगा. सच में हमें इन स्वंभू क्रांतिकारियों को मुख्यधारा में जगह मिले पर सोचना होगा.

जय जय भडास.

VARUN ROY said...

एकजुटता दिखाएं और बुराई के खिलाफ जंग को हमेशा तैयार रहें।
यही एक हल है आतंकवाद के नासूर का, अबरार भाई .
वरुण राय