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13.5.08

जयपुर में पांच विस्फ़ोट ३५ मरे १०० घायल

अंकित माथुर-
आज शाम करीब सात बजे गुलाबी नगरी जयपुर में पुराने शहर के इलाके में
पांच भीषण विस्फ़ोट हुए जिनमे ३५ लोगो के मरने की और १०० से भी अधिक के घायल होने
की आशंका है। सभी मृतकों एवं घायलो को सवाई मान सिंह हस्पताल में भर्ती कराया गया है।
घटना से जुडी खबरों के लिंक।

http://www.bbc.co.uk/hindi/regionalnews/story/2008/05/080513_blast_jaipur.shtml
http://www.ndtv.com/convergence/ndtv/processarchive.aspx?id=NEWEN20080049771
http://www.ibnlive.com/news/7-bomb-blasts-rock-jaipur-10-dead/65207-3.html

मै भडास के माध्यम से भडास से जुडे जयपुर के पत्रकारों एवं पाठकों के परिवारी जनो एवं मित्रों के कुशल क्षेम की कामना करता हूं।

6 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

अंकित भाई,अब तक ६५ लोगों के मरने कि बात बताई जा रही है। लोग आतंकवादियों को कोसते हैं मुसलमानों को शक से देखते हैं लेकिन हमारे समाजशास्त्री आतंकवाद की जड़ें क्यों नहीं तलाशते,कहां से उपजा असंतोष और क्या है हल??? आतंकवादी को गोली मार देने या फांसी दे देने से समस्या हल नहीं होगी ये तो मुझ जैसा बौड़म भी समझ रहा है.....

अबरार अहमद said...

घटना तो बेहद दुखद है। इस हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को मैं भडास के माध्यम से ढांढस बंधाना चाहूंगा। डा रूपेश की बात बिलकुल सही है हमे आतंकवाद की जड को ढुढना होगा तभी इस पर लगाम कसा जा सकता है। बिना जड तक पहुंचे हम असहाय की तरह ऐसी घटनाओं के शिकार होते रहेंगे। आशा है जल्द ही जयपुर इस सदमे से उबर जाएगा।

अनिल भारद्वाज, लुधियाना said...

May God give peace to the immortal souls and courage to the people of pink city to face this disaster which is done by man himself.

Anonymous said...
This comment has been removed by the author.
Anonymous said...

भाइयों मृतक की संख्या क्रमशः बढ़ रही है, हम आतंक को कोसें या आतंकवाद को या फिर सरकारी तंत्र को मगर शिकार तो हम हुए जा रहे हैं. शांत गुलाबी शहर खून से लाल हो गया ये बड़ा अजीब लगता है क्यूंकि मुझे अब तक सबसे शांत शहर ये ही लगा था. याद आता है एक वाक़या जब मैं जयपुर के एक अखबार में था और वहाँ के क्राइम रिपोर्टर किसी चाकुबाजी की खबर लाये थे जिसे पहले पेज पे जगह दी गयी थी. हमारे उन रिपोर्टर मित्र के शब्दों में." ये जयपुर है जहाँ इस खबर को पेज वन मिला, नहीं तो ये पेज सात पे जाती, भाई रात तक रुकता हूँ बीट ही ऐसा है मगर खबर नहीं." बड़ा सुकून मिला था , मगर इस घटना ने दिल दहला दिया, हमारे कोने कोने की शांति पर किसकी नजर लगती जा रही है.
हम भडास परिवार इस आतंकी घटना की निंदा करते हैं और मृतक की आत्मा की शांति के लिए इश्वर से प्रार्थना करते है.

जय जय भडास

VARUN ROY said...

अ से दुश्मनी (चाहे जिस कारण से भी हो और जख्म कितना भी गहरा हो) की वजह से ब को मार देना जबकि ब का अ से कोई सम्बन्ध नहीं है , किस तर्क की कसौटी पर खड़ा उतरता है. हिंसा एक मानसिक रोग है और इसका इलाज जरूरी है. इसे किसी भी रूप में उचित नहीं ठहराया जा सकता है, ऐसा मेरा मानना है.
वरुण राय