इस बात से कतई इनकार नही किया जा सकता की आज के कंप्यूटर - आधारित समाज मै हम इंजिनीअर तो बखूबी बना पायेंगे , लेकिन लेखक और कलाकार नही । यानी हम एक ऐसा समाज बनायेंगे , जहा न विचारो की कोई भूमिका होगी और न संवेदना के लिए कोई जगह।
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
इस बात से कतई इनकार नही किया जा सकता की आज के कंप्यूटर - आधारित समाज मै हम इंजिनीअर तो बखूबी बना पायेंगे , लेकिन लेखक और कलाकार नही । यानी हम एक ऐसा समाज बनायेंगे , जहा न विचारो की कोई भूमिका होगी और न संवेदना के लिए कोई जगह।
5 comments:
sahi swal hai kamla ji...
कमला जी,
अगर आप कह रही हैं की एक इंजीनियर संवेदना और विचार से परे जीव है जो समाज का गला घोंट के सामाजिकता समाप्त कर रहा है तो माफ़ करिये आप गलत हैं. दूसरी बात इन सारी चीजों का ठेका लेखक और कलाकार ने ही ले रखा है तो मैं आपको सिर्फ इतना कहूँगा की कृपया भडासी पर फिर से एक सरसरी नजर डालें यहाँ सब आपको मिल जायेंगे.
जय जय भडास
sahi kaha aapne . bhadas hi kya aapko har jagha sabhi mil jaayenge . waise bhi jo engineering ki book likhta hai wah bhi to engineer hi hota hai par rajneeshji kya engineering ki book likhne wala kisi ke dukh ya sukh ka warnan ush tarha kar sakta hai jis tarha ek kavi ya sahityakaar.
कमला जी आपके इस प्रश्न का जवाब भी भडासियों में से ही मिल जायेगा. क्यूंकि एक इंजीनियर सिर्फ मशीन नहीं होता अपितु वो मानव सुख के लिए नवीन क्रियाओं में लगा होता है, सीधा सा मतलब है की कल्पना से परे वास्तविकता में जीने वाले ये लोग वास्तविक दुनिया के चितेरे हैं और तभी इनमे मानवीयता माफ़ करियेगा परन्तु मुझे लगता है की सबसे ज्यादा है. जो कोरी कल्पना से परे वास्तविक है.
जय जय भडास
कमला बहन,
इंसान के प्रोफेशन से उसकी इंसानियत नहीं नापी जा सकती है. एक अभियंता बहुत अच्छा कवि भी हो सकता है और एक बेहतरीन लेखक भी .अगर आप खोजना चाहेंगी तो ऐसे उदाहरण बहुतायत में मिल जायेंगे और ऐसे साहित्यकार भी मिल जायेंगे जो लिखते तो शानदार हैं पर उनका एक घिनौना चेहरा भी होता है.
वरुण राय
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