नव भारत टाइम्स के उपसंपादक हैं हमारे दुर्गेश जी। संभवतः फीचर के लिए लिखते हैं। अभी कुछ दिनों पहले ब्लॉग पे एक कहानी लिख डाली। बम्बैया स्टाइल मे कहानी को रोचक भी बनाया मसलन तमाम मसाले डाले जो कहानी को बेच सके। मगर मैने देखा है अमूमन ये डेस्क के पत्रकार लिखने से पहले अपने गुगल मैया को याद करते हैं , उसे छानते हैं और लिख डालते हैं। हमारे दुर्गेश जी भी इस से इतर क्योँ जाएं सो गुगल मैया की कृपा से टूटी फूटी चारपाई जोर ली। दुर्गेश जी ने अपने अखबार में लिखा की भडास २५६ सदस्यों का समूह है। और यह ब्लॉग मीडियाकर्मी की ही खिंचाई करता हैं। अब मित्र मेरे इस तरह की गलतियां करोगे, जिस पर ख़बर लिख रहे हो उसकी जानकारी नही, और ना ही जुटाने की कोशिश, अपने आका को खुश किया और लिख डाले, और आपके आका ना आगू देखा ना पीछू और लगा दिया आपकी ख़बर को काबिले तारीफ है। वैसी मेरे लिए ये कोई नयी बात नही है, और ऐसे नेट के पत्रकार भी हमारे अक्षत भाई के हिसाब से बुध्हिजीवी ही हैं, भले ही इन्हें ना पता हो की कोन से नम्बर की चध्ही पहननी है , तो इनका क्या करें।जब हमने इन्हें मेल कर और पूछा की भाई ये ग़लत रिपोर्ट आपने कैसी लगा दी तो जवाब देना तक उचित नही समझा। सोचा की आपने अकलदार अत्रकार मित्र को दिए मेल के साथ ख़बर से भी भडास को सूचित कर दूँ।
मेल मैं नीचे दे रहा हूँ जो इन्हें लिखा था ।
दुर्गेश भाई,
नमस्कार,आज आपके अखबार में ब्लोग से संबंधित आपकी खबर थी, जिसमें भडास से समबन्धित कुछ सूचना थी, आपने २५६ सदस्यों की संख्या बताई है, मैं आपके इस खबर पर एतराज जता रहा हूँ और आपसे आग्रह है की कृपया खुलासा करें की यह सूचना आपको कहाँ से मिली, आज के तिथि में भडास २९० सदस्यों का समूह है और अपनी स्वतंत्र विचारधारा के साथ सतत अग्रसर है। आपकी दूसरी बात की भडास पर खबर्नावीसों की खिंचाई की जाती है, सो मित्र कृपया कर के इसका भी खुलासा करें , वैसी खबरों की खिचाई अखबारनवीस करते हैं सो इन्हें भी अपना आइना देखना ही होगा।
जवाब अपेक्षित है।
भवदीय
रजनीश के झा
प्रवक्ता
भड़ास
8.5.08
नभाटा के दुर्गेश...........
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3 comments:
भाई,ये आदमी क्या इतना बड़ा है कि हम इसे फ़ुटेज दें? लिखा तो मैंने भी था लेकिन फिर सोचा कि छछूंदर है उसको हाथी क्यों बनाएं बेकार में इस लिये पोस्ट नहीं किया लेकिन अब एक काम करिये कि मेरी इस टिप्पणी के साथ उस गैरजिम्मेदार, पत्रकारिता के कलंक को ये पोस्ट मेल कर दीजिये,देखना साले मुंहचोर कहीं के उसका भी उत्तर नहीं देगा,इसी सीढ़ी से चढ़ कर तो यहां तक आये हैं...
डा० साहब ऐसे लोगो को भाव देने से कोई लाभ नही
है, जब बडे बडे मठाधीश भडास का बाल भी बांका
नही कर पाये फ़िर इन साहब की क्या गलती है,
आ गये होंगे किसी के बहकावे में और कर डाली
ये हरकत।
जय भडास...
दुर्गेश जी ये भूल गए रजनीश भाई कि पत्रकारों की खिंचाई करने वाले भी अधिकांश या तो पत्रकार हैं या पत्रकार की कुंडली जानने वाले हैं. जहाँ तक अखबार में ख़बर छापने की बात है तो जनाब ने भड़ास को भी नगरपालिका का बाबू समझ लिया जिन्हें 'अखबार में छाप देंगे ' की धमकी दे कर अपना उल्लू सीधा करते रहे हैं.
वरुण राय
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