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6.7.08

और यूं बदला हमारा संडे एडिशन










जयपुर से नीलिमा सुखीजा अरोरा

किसी भी अखबार का स्पेशल हिस्सा होता है, संडे के दिन लोग आफिस की आपाधापी से मुक्त होते हैं और दिमाग में सिर्फ सुकून होता है, ऐसे में संडे का अखबार ऐसा होना चाहिए जो आपको पढ़ने के बाद रिलेक्स करे न किदिमाग भारी करे। अकसर संडे के अखबारों में संडे स्पेशल स्टोरीज करके अखबारको अलग होने का दावा कर दिया जाता है। लेकिन जब दैनिक भास्कर के संडेएडिशन को नया, अलग और ज्यादा करने की बारी आई तो इसे केवल संडे स्टोरी तकही सीमित नहीं किया गया।
तो कैसे बना संडे एडिशन स्पेशल
इस दिन के फ्रंटपेज को अलग करने के लिए हमारे स्टेट एडिटर कल्पेशजी ने अपनी टीम के साथ एक हजार से भी ज्यादा देशी-विदेशी अखबारों का अध्ययन किया कि जो हम शुरूकरने जा रहे हैं कहीं वो पहले से तो कहीं नहीं हो रहा है। उन्होंने अपनी टीम के साथ आइडियाज को जब शेयर किया तो कोई भी आम रोजमर्रा में इस्तेमालहोने वाला डिजायन या पेज एलिमेंट पहले ही चर्चा से बाहर कर दिया जाता था.क्योंकि हम एक ऐसा पेज बनाने वाले थे जो इतिहास रचने वाला है।
क्या रहा खास
संडे के प्रथम पृष्ठ के लिए हमने तीन एकदम नई प्रोपर्टीज खोजी , सबसेपहले था वाटर कलर। जिसमें हमने संडे के दिन सुर्खियों में रहने वाले किसीशख्सियत को चुना जो उस दिन खबरों में रहने वाला था। इस शख्सियत का वाटरकलर स्कैच बनाने का आइडिया पूरी तरह से नया था, हालांकि इससे पहले भीअखबार इस तरह के वाटर कलर स्कैच्स इस्तेमाल करते रहे हैं लेकिन इसे पूरीतरह से एक डेडिकेटेड पेज प्रोपर्टी बनाने का ख्याल किसी भी अखबार ने नहीं सोचा।

लगभग हर रविवार को कोई न कोई खबर ऐसी रहती है जो किसी एक आदमी केइर्द गिर्द घूमती है, चाहे वो बिल गेट्स हों या महंगाई रोक पाने में अक्षम वित्त मंत्री पी चिदम्बरम। हमारा अखबार भास्कर इस मामले में लकी भीसाबित हुआ, हमारे पास ऐसे चार बड़े कलाकार थे जिन पर हम भरोसा कर रहे थे, इंदौर से लहरी और कुमार, पंजाब से सुखवंत और कोलकाता से आए बिश्वजीत। लेकिन केवल एक बदलाव हमारा लक्ष्य नहीं थे, हमारे टीम लीडर हैं कल्पेश जी और उनके साथ काम करने वाले ही जानते हैं कि वो किस स्तर पर कामके मामले में गंभीर है। पत्रकारिता के प्रति उनका जो जुनून है वो रेअरली देखने में आता है.

दूसरी पेज प्रोपर्टी तय हुई संडे ग्राफिक जो संडे कीबड़ी खबर पर आधारित है। इसके लिए कोई भी एक विषय तय किया जाता है फिर इसपर हमारे डिजायनर्स और ग्राफिक आर्टिस्ट उसके लिए ग्राफिक्स बनाते हैं। ग्राफिक्स के मामले में भी हमारे पास एक से बढ़कर एक आर्टिस्ट हैं। मुम्बई में सुमन्त वर्मा तो नए उभरते दीपक बुडाना। इस संडे ग्राफिक्स कीखासियत भी इसकी फ्रेशनेस और एकदम अलग हटकर कन्सेप्ट रहा। हमने जितना सोचा था, उससे कहीं अच्छा रिस्पान्स हमें इन संडे पेजेस का मिला। पहले हीदिन जब नए लेआउट के साथ 15 जून को अखबार मार्केट में आया तो दिन भरपाठकों के एसएमएस आते रहे।
बात मास्टहैड की
किसी भी अखबार का लुक उसकामास्टहैड तय करता है, इसे साधारण डल मत्थे से कलरफुल, उत्साही मत्थे मेंबदलना बड़ा चैलेंज था, साथ ही जिसमें न्यूज एलिमेंट भी हों। मास्टहैड कोविजुअल अपील के लिए परफेक्ट माना गया और तब आया यह आइडिया की जो भी उसदिन का बेहतरीन फोटो होगा वो जगह बनाएगा मास्टहैड पर। 15 जून से अब तक लगातार हम तीन एडिशन निकाल चुके हैं और जो रिस्पान्स हमें मिला है वो माइंड ब्लोइंग हैं। लेकिन ये तो थी हमारी बात अब हम ये चाहते हैं कि आपलोग भी अपने सुझाव हमें दें, कमेंट्स या काम्पिलमेंट्स, सबका स्वागत है।

तीनों पेज उपर हैं, नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके भी आप इन्हें देख सकते हैं...
http://www.newspagedesigner.com/portfolios/portfolio1.php?UserID=14236

2 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

बढ़िया प्रयोग है,सफल है... उम्मीदें हैं...

Anonymous said...

badhiya,

chaliye dadda kuch to parivartan mila, dekhiye aage aage hota kya hai....... kewal layout ya khabar bhi ;-)

jay jay bhadas.