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13.10.08

यशवंत जी की भड़ास

यशवंत जी की भड़ास
पिछले कुछ दिनों से भड़ास पर धर्म-अधर्म, सीता-राम, दशरथ की चर्चा जोरों पर हैं। एक दुसरे को जम कर गली दी जा रही है। तर्क वितर्क दिए जा रहे हैं। मेरा सभी से ये पूछना है की क्या इस तरह की बहस जरुरी है? मै न आस्तिक हूँ न नास्तिक मै राम को भी मानता हूँ और रहीम इशु सभी के लिए इज्जत रखता हूँ। मैं जनता हूँ की कुछ भडासी भाई मुझे safe zone में जाने का आरोप लगा सकते है कुछ मुझे चुतिया और कायर कहेंगे लेकिन जो मुझे जानते है उनके लिए ये मानना कठिन नही है।मै धर्म की इस लडाई पर इतना ही कहूँगा की धर्म सदा से पर्सनल चीज रही है और उसे सड़क पर ले के नही आना चाहिय। मुर्ख इस पर बहस करते हैं ? और मेरे भडासी भाईयों कई मुद्दें हैं उठाने को। अब समय आगया है की हम आगे बढ़ें और सार्थक बहस का हिस्सा बने।जय भडासी

2 comments:

Akhilesh k Singh said...

waah bhai sambhav ji aap ne mare man ki baat likh dali hai. shukriya

Anonymous said...

सम्भव भाई,
आपने भडासी वाली बात की है, वैसी भी हमारी सार्थकता बेतुकी चक्कलस से नही अपितु अपनी सार्थकता को जमीन पर साबित करने की है, आपका सुझाव बेहतर है,
धन्यवाद