प्रकाश चण्डालिया
हे तिरूपति महाराज,
नगदानगद नमस्कार करने की कुव्वत नहीं है, सो सूखा-सुखा लेकिन भाव भरा प्रणाम स्वीकार कर लो। हां, हालचाल सब ठीक है, हम जहां हैं, खुश हैं, संतोषी हैं। तुमसे कुछ मांगने नहीं आए हैं। नवरात्र में तो तुम्हारा भी बाजार गरम होगा ही। वैसे भी तुम्हारे यहां हर दिन बाजार गरम रहता है, अक्खी दुनिया जानती है।यह पाती अत्यन्त दु:ख के साथ लिख रहे हैं भइया। अखबारों में छपा है कि तुम्हारे मंदिर के गुंबद को पूरा स्वर्णमंडित किया जाएगा। इसके लिए 100 करोड़ का बजट बन गया है। और पैसा लगेगा, तो भी लोग तुम्हारे लिए खर्च कर ही देंगे।अब तिरूपति बाबा, हम क्या छिपाएं तुमसे। हमें बड़ा दुख हो रहा है। तुमको कल तक भगवान मानते थे, अब लगता है तुम किसी नुमाइशी परेड का सामान हो गए हो। टीव्ही उव्ही, ज्यादा देखते हो का आजकल, या फिल्मिया कलाकारों का तुम्हारे यहां बार बार आना तुम्हे खराब कर दिया है।बहरहाल, तुम लखपति हो, करोड़पति हो, अरबपति हो, हां बाबा, मान लिया खरबपति हो (अब इससे ज्यादा सोचने की ताकत हमारी है ही नहीं), लेकिन क्या तुमने सोचा कि तुम्हारे आंगन में मोटा चढ़ावा लेकर आने वाले अधिकतर लोग अपनी दो नंबर की कमाई का पैसा चढ़ाने आते हैं। बुरा मत मानना, तुम भी तो तिरूपति भगवान, लोगों की कैसी कैसी मुरादें पुरी कर देते हो? व्यापारी आएगा तो मालामाल कर दोगे, डाक्टर आएगा तो मालामाल कर दोगे, पुलिसवाला, सीबीआईवाला आएगा तो उसको भी मालामाल कर दोगे। सुना है, अमिताभ,अंबानी उंबानी भी तोहरे दुअरिया पर कुछ डील करके जाते हैं। डिस्कलोज नहीं करेंगे, पर हमसे का छुपाय रहे हो भइया। हम जानते नहीं हैं का।हम जानते नहीं हैं क्या कि जो लोग देश का करोड़ों रूपए का टैक्स हजम कर जाते हैं, उनमें से कई मोटे धन्ना सेठों ने तुम्हें अपना बिजनेस पार्टनर बनाया हुआ है। दो नंबर को धंधा करते हैं, बाजार के पैसे मारते हैं, पर तुम्हारे दरबार में बाकायदा तिरूपति टैक्स चढ़ाने आ जाते हैं। तुम तिरूपति भगवान हो या भगवान लोगों के अंडरवल्र्ड डॉन। जयललिता माता करूणानिधि को पटक कर तुम्हारे यहां प्रसाद चढ़ाने आती हैं। लालू प्रसाद चारा डकार कर तुम्हारें दुअरिया पर मात्था टेक जाते हैं। मडरर-किरमिनल-सब का दोनंबरी नीयत का माल खाते को तिरूपति बाबा। छि:।देश के जितने तथाकथित व्हीआईपी हैं, (हां मतलब वही लोग जो सिक्योरिटी कमाण्डो लेकर घूमते हैं, क्योंकि उनको पूरे देश से खतरा है, और पूरे देश को उनसे)वे सब तुम्हारे यहां बारी-बारी आते रहते हैं। आखिर इतना टैक्स काहे वसूलते हो। कोई नीयत-वीयत खराब कर रखे हो, या कुछ और बात है।वैसे भी सुना है, देश में मंदिरों की संख्या अस्पताल और स्कूलों से ज्यादा है। कभी तुम्हारे मन में नहीं आता कि मोटे-मुस्टण्डे पण्डों को इतनी सदबुद्धि दें कि वे तुम्हारें यहां चढ़ावा कम करवाएं और इधर का पैसा स्कूल-अस्पताल आदि बनवाने में लगाएं।ऐसा है, तिरूपति लाल, माल तुम्हारा है तो मर्जी भी तुम्हारी चलेगी। पर सचमुच दु:ख होता है। तुम्हें भगवान माने तो कैसे मानें यार? तुम तो लालू प्रसाद से भी गए गुजरे लगते हो। उसने तो चारा खाया, तुम सोने पे सोना चबाए जा रहे हो।अगर कहीं भी तुम्हारे भीतर देवताई बची है तो आज ही अपने भक्तों को वह शक्ति दे दो कि वे देश से दो नंबर का कारोबार खत्म करें। पुलिस और सीबीआई अधिकारियों को आशीर्वाद ही देना है तो उन्हें कर्मठ बने रहने का आशीर्वाद दो। और उद्योगपति एवं कारोबारियों को आशीष देना हो तो इतना आशीष दो कि वे सरकार का टैक्स चुराकर तुम्हारा गल्ला भरने न आएंं। फिर जब इन लोगों में नयी चेतना आने के बाद जो चढ़ावा तुम्हारे पास आए, उससे सोने का गुंबद बनवा लेना,हमें कोई एतराज न होगा।हिम्मत दिखाओ अगर भगवान हो तो।
7.10.08
तिरूपति बालाजी के नाम एक खुला पत्र
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2 comments:
maan gaye ustaad maan gaye kya likhte ho. great carry on. vivek
subhaan allah , kahan rahete ho bandhu
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