प्रिय तंज़ीर के लिये खास
प्रिय मित्र आप बिल्कुल सच कह रहे हैं एक धर्म जो चंद छद्म धर्मवादियों से डरा हुआ है वह क्या देश दुनिया की बात करते हैं। इतना साहसी वक्तव्य दोस्त आपसे लोग ही दे सकते हैं उम्मीद है, अपना वेधडकपन बनाये रखेंगे और ग़लत को कभी सही ना कहेंगे। आज जिस तरह आपका सद्विचार सनातन के लिये मुखर हुआ है मित्र ऐंसा ही ज्ञान का दीप उन फिरका परस्तों और तथाकथित धर्मनिरपेक्षवादियों समेत पोंगा पंडितों कठमुल्लों को भी ज़रूर देंगे। आपसे बडी उम्मीद है मुस्लिम समाज को अंधकूप से बाहर निकालने में सहयोगी बनेंगे। बडी ज़रूरत है,किसी नये चश्में से दुनिया को देखने की अन्यथा मत लीजिये ग़ैरमुस्लिम ये साहस करेगा तो वो दुस्साहस कहलायेगा कमियाँ सबमें होती हैं इन्सान वही है तो नया कहाँ से लायेगा। स्पष्टवादिता सिर्फ दीगर मान्यता की आलोचना का नाम नहीं बल्कि समान्तर आलोचना होनी चाहिये। आज के इस नाजुक दौर से ग़ुजर रहे इस्लाम को आपसे प्रगतिवादी युवकों की निहायत ज़रूरत है। बडी उम्मीद है ऐसे नैज़बानों से मुझे। हम सब मिल कर शायद कोई अच्छी पहल कर सकें जो कल बतौर मिशाल पेश हो। स्वागत है इस वाक्युद्ध में आपका।।।।।। धन्यवाद्
7.10.08
छद्म धर्मात्मा
Posted by Barun Sakhajee Shrivastav
Labels: राष्ट्रवाद
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