आज के समय में जब घर घर के छोटे से लेकर बड़े सदस्य तक तो अनेकानेक मनोरंजन करने वाले टीवी चैनलों ने घर में ही बाँध रखा है ऐसे में रामलीला जाने की कौन सोच सकता है। मगर फ़िर भी ऐसे बहुत से व्यक्ति हैं जो इन बातों की परवाह न करते हुए अपने प्रयासों से रामलीला की परम्परा को जिन्दा रखे हुए हैं। ये लोग बिना कोई दाम लिए रामलीला का मंचन करते हैं। इस के लिए इनको अपना समय देना पड़ता है। कई दिन पहले से ही ये लोग इस काम में लग जाते हैं। हिंदुस्तान की एक पुरातन परम्परा को जिन्दा रखने में इनका बहुत बड़ा योगदान है। श्रीगंगानगर में एक रामलीला में श्री हनुमान जी को आकाश मार्ग से संजीवनी लाते हुए दिखाया गया। काम जोखिम वाला था ,फ़िल्म की तरह कोई डुप्लीकेट भी नहीं था। यह पोस्ट ऐसे ही व्यक्तियों को समर्पित जो रामलीलाओं से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष जुड़े हुए हैं.
8.10.08
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