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3.12.08

भारत को नरेंद्र मोदी ही क्यों चाहिए ?

भारत को नरेंद्र मोदी ही क्यों चाहिए ? इस सवाल पर आपके या किसी राजनैतिक सरोकार रखने वाले व्यक्ति के जवाब जो हों मगर एक पत्रकार सुहेल सेठ ने इसका जवाब अपनी नजर से ढूंढा है। १९ अक्तूबर को मोदी से मुलाकात के बाद उन्होंने जो लेख लिखा उसमें मोदी संहारक नहीं बल्कि भारत के एक संवेदनशील राजनीतिज्ञ नजर आ रहे हैं। सुहेल सेठ वह पत्रकार हैं जिन्होंने मोदी के खिलाफ तबतक खूब लिखा जबतक उनसे मिले नहीं थे। आखिर मोदी में उन्हें क्या दिखा जिसने उनका मोदी के प्रति नजरिया ही बदल दिया ? सुहेल का यह लेख मुझे मेल से मिला है। उसके हिंदी सारसंक्षेप का आप भी अवलोकन कीजिए। हो सकता है कि आपकी राय सुहैल जैसी न हो। तो फिर क्या है आपकी राय यह तो मैं भी जानना चाहूंगा। फिलहाल लेख देखिए---------

भारत को नरेंद्र मोदी ही क्यों चाहिए ?

लेखक----सुहेल सेठ
मैं एक खुलासा करने जा रहा हूं। मैंने शायद मोदी और गोधरा कांड के बाद से मोदी की कारगुजारियों के खिलाफ सबसे ज्यादा लिखा है। मोदी को मैंने आज का हिटलर भी बना दिया। अक्सर अपने लेखों में मैंने यह धारदार तरीके से कहा है कि मोदी का कुकृत्य न सिर्फ उनके लिए बल्कि भारतीय राजनीति के लिए एक कलंक बना रहेगा। मैं तो आज भी मानता हूं कि गुजरात में गोधरा के दंगों में जो कुछ हुआ देश को उसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। मगर हकीकत यह है कि मोदी ने उस कालचक्र को ही आगे बढ़ा दिया । मोदी को गोधरा दंगों के बाद देश का सबसे सांप्रदायिक राजनीतिज्ञ करार दिया गया मगर यह हैरान कर देने वाली बात है कि धर्मनिरपेक्षता की मसीहा कांग्रेस पर भी १९८४ में वह दंगे कराने का आरोप है जिसमें ३५०० सिख मारे गए थे। जबकि गुजरात के दंगे में इससे तीनगुना कम लोग मारे गए थे। सांप्रदायिकता की किसी व्याख्या से परे हकीकत यह है कि भारतीय राजनीति में मोदी से बेहतर प्रशासक कोई नहीं है।

तीन सप्ताह पहले ( सुहेल सेठ का मूल लेख छपने की तारीख के हिसाब से ) मैं अमदाबाद गया था।
मुझे लगा कि यह मोदी से मिलने का अच्छा मौका है। मैंने एप्वाइंटमेंट मांगा और उसी दिन का समय मिल गया जिस दिन मैं अमदाबाद पहुंचा। सरकारी तामझाम से अलग मेरी मुलाकात मोदी से उनके घर पर ही हुई। वह भी उसी तरह जैसे खुद मोदी अपने घर में दिखते हैं। मोदी का घर और रहनसहन देखकर मैं हतप्रभ था। यह कुछ ऐसा था जिसे मायावती और गांधी के झंडाबरदारों को भी मोदी से सीखना चाहिए।
मोदी के घर में सेवकों की भीड़ नदारद थी। कोई सचिव या सहायक भी मुश्तैद नहीं था। सिर्फ हम दो और एक सेवक था जो हमारे लिए चाय ले आया था। यह मोदी का वह आभामंडल था जिसमें गुजरात का विकास और राज्य के लोगों के जीवन स्तर को बेहतर करने की दृढ़ता दिखाई दे रही थी। सच भी है। आज सिंगापुर में गुजरात का दूध बिकता है। अफगानी खाते हैं गुजराती टमाटर। कनाडा में भरा पड़ा है गुजरात का पैदा किया हुआ आलू। यह सब विकास की हार्दिक कामना व कोशिश के बिना संभव नहीं । मोदी ने संभव कर दिखाया है। इतना ही नहीं साबरमती के तट पर एक ऐसा औद्योगिक शहर बनाया जाना प्रस्तावित है जिसे देखकर दुबा और हांगकांग को भी झेंप महसूस होगी। वह मोदी ही हैं जिसने सभी नदियों को आपस में जोड़ा जिसके कारण अब साबरमती नदी सूखती नहीं।

गुजरात में नैनो
मोदी ने यह भी बताया कि कैसे नैनो परियोजना को गुजरात लाने में उन्होंने उत्सुकता दिखाई। रतन टाटा को प्रभावित करने के लिए उस पहले पारसी पुजारी नवसारी की कथा सुनाई। नवसारी पुजारी पहला पारसी पुजारी था जो गुजरात आया था। उस समय के गुजरात के शासक ने एक गिलास दूध भिजवाकर कहलवाया कि उनके लिे यहां कोी जगह नहीं है। तब पुजारी ने दूध में शक्कर मिलाकर वापस भिजवाया और कहा कि शक्कर में दूध की तरह ही वे स्थानीय लोगों से घुलमिल जाएंगे। इससे गुजरात को फायदा ही होगा। अर्थात वह हर कोशिश मोदी गुजरात के लिए कर रहे हैं जो राज्य को संपन्न और मजबूत बनाए। अपने इसी हौसले के कारण मोदी अब भाजपा का वह तुरुप का पत्ता हैं जिसे आडवाणी के बाद इस्तेमाल किया जाता है।

आतंकवाद के खिलाफ रणनीति
मोदी मानते हैं कि देश के पास आतंकवाद से लड़ने की कोई रणनीति नहीं है। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने दिल्ली के बम धमाकों के बारे में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और सुरक्षा एजंसियों को आगाह किया था मगर उन्होंने इस सूचना को गंभीरता से नहीं लिया। नतीजा सामने था कि १३ सितंबर को दिल्ली में बम धमाके हुए। आतंकवाद से जूझने की स्पष्ट रणनीति के अभाव में ही हम झेल रहे हैं आतंकवाद। कुल मिलाकर मोदी व्यावसायिक प्रगति के लिए कानून व व्यवस्था को समान तरजीह देते हैं।
काम करने के तरीके और अपनी जिम्मेदारी के प्रति गंभीरता ने साबित कर दिया है कि वे गुजरात के प्रति कितने समर्पित हैं। उनसे मिलने के बाद जब लौटने के लिए कार में बैठा तो अपने ड्राईवर से पूछा कि कैसे हैं नरेंद्र मोदी ? साधारण से उसका जवाब था- मेरे लिए तो भगवान हैं। यह तथ्यगत बात है कि मोदी से पहले गुजरात को पास उतना कुछ नहीं था जो आज है। न रोड था, न बिजली और न मूलभूत ढांचा। आज गुजरात के पास अतिरिक्त बिजली है। गुजरात अब दूसरे राज्यों से ज्यादा उद्योगपतियों को आकर्षित करता है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी गुजरात को ही तरजीह देती हैं। यही वह कुछ है जो मोदी ने गुजरात को दिया है और बाकी राज्यों में नहीं है।
जिस कार्यक्रम में मैं गया था वहां लोगों से नरेंद्र मोदी के बारे में पूछा तो जवाब था-- अगर भारत के पास ऐसे पांच नरेंद्र मोदी होते हमारा देश महान हो जाता। अब मुझे भी पक्का भरोसा हो गया था कि सच में भारत को ऐसा ही युगपरिवर्तक नरेंद्र मोदी चाहिए।

3 comments:

paharNews said...

आपने सही कहां मोदी ही हैं जो आतंकवाद के खिलाफ करे न करे कम से कम जहर जो जम कर उगल सकते हैं

Unknown said...

MOODI HI SACHE DES BHAKT HAI

BAKI SAB PARTY VALE APNI PARTY KE VOTING BANK KE LIE SOCHATE MAI
MODI DES KI BHALAI SOCHATE HAI

ISLIE MERE BHARAT KO NARENDRA MODI CHAHIE

Anonymous said...

Narendra modi is the best Cm and i hope he is a best PM also.