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4.12.08

सवाल बड़ा दर्दनाक है.....!!

सवाल बड़ा दर्दनाक है......!!एक भाई ने मेरे वृद्ध माँ-बाप को वृद्धाश्रम छोड़ने पर बहस की बात उठायी है...........मेरी समझ से बहस तो क्या हो अलबत्ता मैं ये जानने की चेष्टा अवश्य करना चाहता हूँ कि हमारी जिंदगी में बेशक चाहे जितनी मुश्किलें हों..... हमारी बीवी चाहे जैसी हो....हमारे माँ-बाप चाहे जितने गुस्सैल...सनकी...या किन्हीं और अवगुणों (हमारे अनुसार) से भरे हों....(बस व्यभिचारी ना हों...!!) मगर क्या हमें उन्हें छोड़ देना चाहिए....??क्या उन्हें वृद्धाश्रम या किसी और जगह पर फेंक देना चाहिए....??क्या किसी भी परिस्थिति या समस्या की बिना पर हमें उनसे नाता तोड़ना जायज है...??...........भारत के सन्दर्भ में ये प्रश्न बड़ा संवेदनशील...और मर्मान्तक प्रश्न है.....यहाँ मैं यह अवश्य जोड़ना चाहूँगा कि स्थिति गंभीर भी हो तो क्या उनके लालन-पालन का जिम्मा बच्चों (बड़े हो चुके) पर नहीं है....?? अगर बर्तन बजते हों....और उन्हें अलग रखना भी आमदनी के लिहाज़ से असंभव प्राय हो....तब क्या अपने ही जनक-जननी को त्याज्य देना समीचीन है.....??......आज इन सवालों के जवाब मैं आप सबों से चोटी-चोटी टिप्पिनियों के माध्यम से माँगता हूँ....आशा है आप आपनी निष्कपट और इमानदार राय यहाँ पोस्ट करेंगे....चाहे वो किसी के भी पक्ष या ख़िलाफ़ क्यूँ ना हो.....इस बहाने जनमानस के मन की पहचान भी हो जायेगी...... आपके उत्तरों के लिए बेकल मैं............भूतनाथ...........आप सबको यहाँ सादर आमंत्रित करता हूँ....अभी इसी वक्त से...!!

1 comment:

Dr. Ravi Srivastava said...

आज मुझे आप का ब्लॉग देखने का सुअवसर मिला।
वाकई आपने बहुत अच्छा लिखा है।

‘…हम तो ज़िन्दा ही आपके प्यार के सहारे है
कैसे आये आपने होंठो से पुकारा ही नही…’’

आशा है आपकी कलम इसी तरह चलती रहेगी और हमें अच्छी -अच्छी रचनाएं पढ़ने को मिलेंगे
बधाई स्वीकारें।

आप मेरे ब्लॉग पर आए, शुक्रिया.

‘मेरी पत्रिका’ में आज प्रकाशित नई रचना/पोस्ट पढ़कर अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत कराएँ।
आप के अमूल्य सुझावों का 'मेरी पत्रिका' में स्वागत है...

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…Ravi Srivastava