Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

5.6.11

आन्दोलनकारियों की योग्यता

* बहुत दिनों से यह माँग चल रही है की जन प्रतिनिधियों का कई न्यूनतम qualification होना चाहिए | फिर ऐसी क्या मजबूरी और यह क्यों ज़रूरी हो कि विरोधकर्ता आन्दोलनकारियों की योग्यता हाई स्कूल से आगे न बढ़ने पाए ? चाहे वह अन्ना हजारे हों या बाबा रामदेव |##

* मैया मैं तो चन्द्र खिलोना लैहों |
 यही हाल है बाबा रामदेव का | बचकाना आन्दोलन , बचपने की माँग | वरना माँग करने वाले को कम से कम यह तो पता होना चाहिए कि इसे पूरा की हैसियत सरकार में है भी या नहीं | राजनीति करने से पहले कुछ राजनीति की समझ भी तो पैदा करनी चाहिए , या केवल भक्तो के सामने जोर -जोर से चिल्ला कर बोलना और उनसे नारे लगवाना ही पर्याप्त है | गाँधी जी की समाधि पर फूल चढ़ाते हो तो यह भी जानो कि गाँधी जी कितना पढ़े थे , कितने योग्य थे , उनके प्रशंसक  किस श्रेणी के लोग थे ? गुरुता कुछ नहीं और चल दिए गुरु बन ने ! अब जो लोग गठिया ,सुगर ,साइटिका, रक्त चाप से पीड़ित हैं और आप से इलाज करने आये हैं वे पुलिस से भिड़ने में कितना समर्थ होंगे ,यह भी तो सोचना चाहिए था | 
      सीधे प्रधान मंत्री का चुनाव , तकनीकी डाक्टरी की लोक भाषा में शिक्षा , मृत्यु दंड पर विचार , विदेशी बैंक में पैसा क्या कोई नया विषय है ? इस पर बहस चल रही है , पर क्या किसी सरकार के पास लोकतंत्र में इतनी ताक़त है कि वह एक लाइन के आदेश से इसे लागू कर दे ? और आप इसके लिए बचकाना जिद लिए अनशन पर बैठे हैं | इन विषयों पर आप जनता के बीच जाइये , वैदेशिक नियम -प्रोटोकोल समझिये और बताइए कि कैसे हो सकता है यह सब ? पर आपने तो अपने और केवल  अपने को पूरा देश समझ लिया और अपने दिमाग कि खब्त को पूरे देश की मांग , तो यह कैसे संभव है ? इतनी सारी मांगों की सूची के साथ आप यह कहना तो बिल्कुल गलत है कि आप भ्रष्टाचार से लड़ रहे हैं | ऐसा होता तो आप अन्ना के ही साथ होते | उसी समूह को अपनी मांगों की प्रासंगिकता  समझा लेते तो हम भी समझते कि आप कुछ गंभीर हैं, आप की बातों में दम है | पर आप तो उन्ही की हवा निकलने लगे , उनका सहयोग क्या करते |कारण , आप तो व्यक्तिगत महत्वाकांछा लेकर केवल अपना क़द बढ़ाना चाहते थे | ऐसा संभव नहीं होता लोकतंत्र में , लोक -आन्दोलन इस तरह नहीं होते न सफल होते हैं | आप गंभीर गफलत और भ्रम में हैं |
           हम न भी कहें  कि धर्म गलत है या योग का कोई महत्त्व नहीं , पर जिस तरह आपने योग के बहाने लोगों को अपने दिमागी कब्ज़े में लिया ,उन्हें अपना अन्धविश्वासी भक्त बनाया , फिर उनसे धन कमाया और फिर उन्हें सत्ता के प्रति अपने व्यक्तिगत मोह के राजनीतिक कुएँ में ढकेल दिया, उस से योग भी बदनाम हुआ और धर्म भी | अब भला कौन सच्चा व्यक्ति योग और योगगुरु पर विश्वास करेगा | हर नया गुरु अब गंभीर शंका की दृष्टि से देखा जायगा | यह सब आप के कारण हुआ | यह अतिरिक्त आरोप आपके ऊपर बनता है | हम लोकतंत्र में जनता के अंधविश्वास में बढ़ोतरी के नहीं , उनमे वैज्ञानिक सोच में अभिवृद्धि के कायल और कार्यकर्ता हैं | हम आपके कृत्य की भर्त्सना करते हैं , समर्थन का तो सवाल ही नहीं उठता , जैसा आप अपने मन में शायद सोचे बैठे हों | ##        

5 comments:

Anonymous said...

Maf kijiyega, par apka yeh lekh bachkana hai. Ramdev ji ne pure desh me ghum ghum kar janta ko bataya ki kala dhan ko lane ke kya raste hai. Aur in rasto se kai deso ne apna kala dhan mangaya v hai. Ramdev ji ke pas ek pura vision hai ki kaise desh ko phir se sone ki chiriya banaya ja sakta hai. Agar aap v janna chahte hai to is sìte par lecture download kar sun sakte hai. www.rajivdixit.com

arvind said...

upar k comment se sahamat...isi tarah kuchh log gaandhi kaa bhi virodh karate the....baabaa ramdev is the incarnation of gaandhi.

Dr Om Prakash Pandey said...

aapke tarkon mein dam hai par kya yah aawashyak naheen ki bhrashtaachaar ke khilaf chalate muhim mein shaamil hokar apne vivek se muhim ko aur bhi
sarthak tatha sadish ho . jahan tak nyaay aur satya ki seema ka sawaal hai , ishwar ke alaawe inkee any koi seemaa kaise ho saktee hai ?

तेजवानी गिरधर said...

आज जब कि राजनीति और संप्रदयवाद की घलमेल हैं और लोगों को केवल एक ही पक्ष दिखाई दे रहा है, आपने बडे ही साहस से अपनी बात कही है

Ugra Nagrik said...

Bhai anonymous, Arvind, Dr om Prakash PandeyJi ,Teesri Aankh ko comments ke liye dhanyavad |Bhrashtachar se ladayi aise aakarshak shabd hai ki iska virodh karke koi maha bhrashtachari bhi apni bhad nahi pitvayega | Burayiyan iseeliye hain kyonki hum apni zimmedari doosron par dal dete hain |Lagta hai Ramdev koi devdoot ho gaye hain | Bycycle se Hardwar me dawa bechte ,yog sikhate ,dhan ugahte , aastha ka vyapaar karte arbon batorne ke baat unhe yahi samajh aaya ki videshon me jama paisa sone ki chidiya hai jiska unka takhmina hi galat hai / Aur unki anya mangen kya tnik bhi buddhi prerit hain ? Bhai ramdev ke alava bhi tamam log hain jo kuchh jankari rakhte , majboori samajhte hain ,isliye kuchh bheed ke bal par chhadm aachran nahi karte |