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1.10.08

भारत में सेक्स को बहुत अहमियत नहीं

बुधवार, 01 अक्तूबर, 2008 को 13:29 GMT तक के समाचार
अब्दुल वाहिद आज़ाद बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए, दिल्ली से
बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के सौजन्य से
भारत में सेक्स को बहुत अहमियत नहीं
एशिया और प्रशांत क्षेत्र के देशों में कराए गए एक सर्वेक्षण में कहा गया कि भारतीयों के जीवन में अब भी सेक्स का कोई अहम स्थान नहीं है.
पुरुषों की 17 प्राथमिकताओं में सेक्स का स्थान सातवाँ है जबकि महिलाओं की 14 प्राथमिकताओं में यह लगभग सबसे निचले स्तर पर है.
भारत में महिलाओं और पुरूषों की प्राथमिकताओं में परिवार सबसे ऊपर है.
भारत में ये सर्वेक्षण दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और पुणे में किया गया. तमाम प्रश्न अंग्रेजी में किए गए थे जो इस बात की तरफ़ इशारा करते हैं कि इस सर्वेक्षण में शहरी और पढ़े-लिखे भारतीयों को शामिल किया था.
सर्वेक्षण से पता चला है इस महादेश के 13 देशों में 50 प्रतिशत से ज़्यादा पुरुष और 60 प्रतिशत से ज़्यादा महिलाएँ अपने यौन जीवन से संतुष्ट नहीं हैं.
एक दवा कंपनी की ओर से कराए गए इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट एशिया-पैसिफ़िक सेक्सुअल हेल्थ ऑवर ऑल वेलनेस यानी ‘एपीशो’ नाम का ये सर्वेक्षण बुधवार को दिल्ली में को जारी की गई.
सर्वेक्षण में भारत सहित आस्ट्रेलिया, चीन, हॉंगकॉंग, इंडोनेशिया, जापान, मलेशिया, फ़िलीपींस, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, ताईवान, थाइलैंड और न्यूज़ीलैंड जैसे देश शामिल थे.
भारत का हाल
सर्वेक्षण के अनुसार भारत में 72 प्रतिशत पुरुष और महिलाएँ अपने यौन जीवन से संतुष्ट हैं.
हालाँकि सर्वेक्षण के अनुसार भारत के शहरों में रहने वाले पचास प्रतिशत लोगों ने पर्याप्त यौन उत्तेजना न होने की शिकायत की और माना कि यह उनके सेक्स जीवन पर नाकारात्मक असर डालती है.
रिपोर्ट के मुताबिक़ उत्तेजना का स्तर और संभोग की संतुष्टि एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और जिन लोगों में उत्तेजना कम होती है उन लोगों में संभोग की इच्छा भी कम होती है.
सर्वेक्षण के जारी करने के बाद संवाददाताओं के सवालो का जवाब देते हुए ऐंडरोलोजिस्ट डाक्टर रुपिन शाह का कहना था," भारतीय संदर्भ में सर्वे ये बताता है कि जो व्यक्ति सेक्स लाइफ़ से पूरी तरह संतुष्ट हैं वे लोग अपने पूरे जीवन से भी कम असंतुष्ट हैं."
रिपोर्ट जारी करते हुए ऑस्ट्रेलिया की रोज़ी किंग का कहना था कि इस सर्वेक्षण का मक़सद सेक्सुअल हेल्थ के साथ-साथ सभी प्रकार के स्वास्थ्य को बेहतर करना है.
उनका कहना था, "ये सर्वेक्षण उन लोगों प्रोत्साहित करेगा जो झिझक रखते हैं. साथ ही, उत्तेजना की कमियों को दूर करने के बारे में भी मदद चाहने के लिए तैयार करना है."
ये सर्वेक्षण मई से जुलाई 2008 के बीच किया गया. सर्वेक्षण में लगभग चार हज़ार (दो हज़ार पुरुषों और दो हज़ार महिलाओं) लोगों को शामिल किया गया था.
सर्वेक्षण में भाग लेने वाले लोगों की आयु 24-74 के बीच थी.

2 comments:

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

yahan to bharstachar kp ahmiyat hai

Anonymous said...

चलिए हमारे समाज के अंधेरे को शायद इन सर्वेक्षणों से थोडी सी रौशनी मिल जाए,
वैसे सर्वेक्षण सिर्फ़ शहरी ईलाके में किया गया है सो भारतीय सन्दर्भ पुरा नही होता, प्रश्नचिन्ह है क्यूंकि हमारा देश गाँव से ही पुरा होता है. शहर के चंद चड्ढी बनियान वाले देश कि दशा-दिशा नही बता सकते सिर्फ़ अपना दिन अपनी रात बता सकते हैं.
जय जय भड़ास