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4.9.11

मेरी प्रार्थना में

- अतुल कुशवाह
हे प्रभु !मेरी प्रार्थना में
गरीबों को अनदेखा करने वाली
आँखों की पुतलियाँ फट जायें......
घूंस लेने वाले हाथ
कोहनी तक गल जायें...........
असहायों की चीख न सुनने वाले
कानो के परदे
दिमाग तक सड़ जायें .......
किसी मजबूर के सामने
पत्थर के माफिक
अपने में सक्षम -समर्थ
साहब और सरकार का
जो भ्रम पाल बैठे हैं
उनकी औलादें मर जायें .......
हे प्रभु ! मेरी प्रार्थना में
तेरे विश्वास पर
तुझसे न्याय की प्रतीक्षा में
जो आज भी
भूंखे-नंगे बैठे हैं
तू उनके लिए जगह छोड़
आब उन्हें भी मौका दे
एक बार वे भी भगवान् बन जायें.........

1 comment:

Jay Narayan Bastriya said...

भगवान आपकी प्रार्थना स्‍वीकार करे
ेमरी उससे यही प्रार्थना है ।