आजकल महिलाओ को विधान्सभाओ और संसद मैं ३३% आरक्षण पर बहाश जोरो-सोरो पर है । महिला समाज पूरी ताकत झोके है की किसी भी तरह ये पास हो जाए । पर समाज मै एक तबका esha भी है जो ५०% आरक्षण लिए महिलाओ को भटका रहा है । ये वही लोग है जो नही चाहते की महिलाओ को कुछ भी मिले । मैं ये नही कह रही की महिलाये ५०% की हकदार नही। बिल्कुल है । जब हम मर्दो के बराबर या शायद उनसे भी कुछ ज्यादा काम करती है तो क्यों न मिले हमे भी उनके बराबर अधिकार . पर हमे ये भी नही भूलना चाहिए की फालतू की बहाश से कुछ भी हासिल नही होता. ठीक वैसे ही की सरकार ने कहा सड़क बनवायेंगे तो गाव के गाव लड़ पड़े । सड़क हमारे यहाँ से जाए ,हमारे यहाँ से और सड़क कही न जा सकी . बिजली देने को कहा तो फिर वही बहस और सारा जीवन अंधेरे मै ही कट गया. सो बहनो अभी जो मिल रहा है जल्दी झपट लो. isse महिलाओ का हौश्ला तो badhega ही साथ ही साथ तागत भी badhega और आगे की लड़ाई भी कुछ आसान हो जायेगी. क्युकी ३३% आरक्षण मिलना यानी आवाज उठाने वालो की संख्याओ मै और इजाफा होना. तो क्या चाहती है आपलोग सबकुछ या कुछ भी नही ?
11.5.08
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3 comments:
प्रतिरोध किया ही जाना चाहिए, जनसंख्या इतनी तेजी से बढ़ रही है, और जब लोग ख़ुद ही ज़हर लेकर मरने को तैयार हैं तो रामदोस को मिर्ची क्यों लग रही है. तम्बाकू का सेवन करने वालों को पता है यह मौत का रास्ता है, पर वे अन्दर गहरे से निराश हैं , क्या उन्हें अपनी इच्छा से मरने का भी हक नहीं है? और क्या हमें एक कम जनसंख्या वाले साफ-सुथरे देश में जीवन बिताने का हक नहीं है?
कमला बहन,इसी तरह से उगलते रहिये अंदर की भड़ास....
कमला जी सही कहा आपने, अरे जो आ रहा है वो तो ले लो फिर उसे आगे बढ़ाना. चलिए हम तो आपके साथ ही हैं.
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