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12.12.08

एहसास अनजाना सा.....


बहुत तन्हा बहुत अकेला हू मै
पकड़ लो तुम हाँथ मेरा नही तो भीड़ में खो जाउगा मै
बिखर जाउगा सम्भाल लो मुझे
रख लो सम्भाल के आँचल में अपने
बड़ा सुकून मिलता है मुझे वह

सासे रोकी है कई बार अपनी
केवल अपना नाम आपके मुह से सुनने के लिए
बेबात रोया हू कई बार, न जाने किस लिए
अकेला था, अकेला हू और अकेला ही रहूगा
यही शायद किस्मत है मेरी

यह khwaishe सच बड़ी अजीब होती है
जाने किस किस चीज़ की उम्मीद कर जाती है
देखिये न पागलपन पता नही क्या लिख डाला
पता नही किस सोच में

सोचता हू सब कुछ है पास मेरे
सिवाय तेरी आस के

Don't let someone become a priority in your life,when you are just an option in their life...
Relationship works Best when they are balanced

2 comments:

क्षितीश said...

यह ख्वाहिशें सच बड़ी अजीब होती है...
वाह, बहुत खूब...!!! अच्छी लगी...!!!

क्षितीश said...

यह ख्वाहिशें सच बड़ी अजीब होती है...
वाह, बहुत खूब...!!! अच्छी लगी...!!!