काकड़ पाथर जोड़ के मस्जिद दियो बनाये।
ता चढ़ मुल्ला बांग दे बहिरा क्या बहिरा भया खुदाए॥
थोडी देर के लिए भूल जाइये कि ये कबीर ने लिखा है, मान लीजिये दोहा सम्भव ने लिखा हो।
अब देखिये प्रतिक्रिया :-
१# मामा मस्जिद के अबुल दुखारी ने इस दोहे को इस्लाम के खिलाफ बताया वो केन्द्र सरकार से इस काफिर सम्भव को गिरफ्तार करने कि मांग करते हैं।
२# सपा विधयेक मंगनी मुल्लाना ने इस दोहे को लिखने वाले कि सर कलम करने पर १०० करोड़ के इनाम का एलन किया है ।
३# उल्जुलुलेमा- ऐ - हिंद ने फतवा जारी कर मौत कि सजा सुनाई है।
४# ....................................
and list goes on:
दूसरा दोहा :-
पाहन पूजे हरी मिले तो मै पुजू पहाड़
ता से तो चाकी भली पीस खाए संसार॥
प्रतिक्रिया :-
१# देश-विदेश हिंदू परिषद् ने इसे धार्मिक आस्था पर प्रहार बताया है , कल पुरे देश में चक्का जाम करने का आह्वान किया है ।
२# प्रवीन गड़बदीय ने ८० करोड़ हिन्दुओं का अपमान बताते हुए लेखक को कायर घोषित किया है।
३# देश के साधू संतों ने दोहे कि भर्सना करते हुए आन्दोलन पर जाने कि धमकी दी।
४# ....................................
and list goes on:
तो भाई कबीर क्या समझे ? ये २००८ है ........... अच्छा हुआ कि तुम अभी नही पैदा हुए जो कहना था वो कहे गए, नही तो अपने दोहो कि सफाई देते देते पागल हो जाते ।
कुमार सम्भव
www.aapkibaat.blogspot.com
4.12.08
कहे सम्भव सुनो भाई कबीर
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8 comments:
shandaar hai bhayi....
कठमुल्लों....मुर्दाबाद.....
पोंगापंडितों....मुर्दाबाद....
पाखंडियों....मुर्दाबाद....
भाई, इन्हीं सब हालात पर कबीर ने कहा है...
रहना नहीं देस बेराना है
यह संसार कागद की पुड़िया
बूंद गिरे गल जाना है
रहना नहीं देस बेराना है
यह संसार झाड़ और झांखड़
आग लगे बर जाना है
रहना नहीं देस बेराना है..
जय भड़ास
यशवंत
वाह भाई संभव क्या खूब कही कबीर जब थे तब भी कठमुल्लों- पंडितों के निशाने पर रहे और अब जब वे अमर हो गए, तब उनकी राह पर चलने वालो को यही धर्म के ठेकेदार मारने पर उत्तारु हो जाते हैं..लिखते रहिये और ग़लत की खिलाफत करते रहिये हम आप के साथ हैं.
सम्भव भाई,
बेहतरीन लिखा है आपने, और हमारी हकीक़त भी मगर इन पोंगा पंडितों, मुल्लों-कठमुल्लों के दिन जाने वाले हैं, जिस तरह से भारतीयता ही भारतीयता सर्वत्र दिखाई दे रही है,
हमें भी धर्म के ठेकेदारों को बस भारत और भारतीयता का पाठ पढ़ना होगा.
जय जय भड़ास
संभव भाई जो आपने लिखी है वह सोलह आने सही है
पर क्या करें ये कभी बदल भी तो नहीं सकता है .
आपकी लेखनी से शायद कुछ लोगों को सदबुद्दी मिले ....
प्रसिद्धि का सीधा रास्ता है विवादास्पद लेखन.... अच्छा है सबकी नजर पड़ती है चाहे गरियाए या तारीफ़ करे लेकिन देख जरूर लेता है:)
देखिये यशवंत दादा भी समय निकाल कर बोल पडे़..
पाखंडियों....मुर्दाबाद....
:))
ये तो रही बात कबीर की,यदि आज भगवान किशन जी होते तो नहाती हुई लड़कियों के कपड़े चुरा कर भाग जाने पर कौन कौन सी कानून की दफ़ाएं कितनी दफ़ा लग जातीं और छोकरियों के घर वाले धोते सो अलग....
dr. saahab ko charan sparsh. wase mea pahle vivad se bachta tha lekin aap hi ki chatra chayea me aakar vivadspad ho gaya. aab jab bhadasi baan gaya hoon to chelo aap bhi akhir launde ko bigada aap ne hi hai
sulatana jee krishna bhi kafi lucky the.
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