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5.2.08

आ , अब घर लॉट चले !

टीवी पर बिहारियों को पीटाते देख थोडा सुकून हुआ ! लेकिन थोडा और हंगामा होना चाहिऐ था ! जम के ! दहशत का माहौल भी खड़ा होना चाहिऐ ! "अपना घर" बर्बाद हो रहा है और चले हैं दूसरों के घर को सजाने के लिए ! "दूसरा" हमेशा से ही दूसरा ही होता है !
ऐसी प्रतिक्रिया स्वाभाविक है ! उदाहरण के तौर पर - हम लोग करीब १०० साल से मुजफ्फरपुर शहर मे बसे हैं ! दादा-परदादा की जमींदारी थी ! घर - परिवार के लोग मुजफ्फरपुर से ही पढे लिखे हैं ! लेकिन आज तक "तिरहुत" वाले महीन लोग हमलोगों को अपना नही सके ! आज भी हम सभी "छपराहिया " ( छपरा जिला का रहने वाला ) ही कहलाते हैं ! हम भी अडे हैं - अपनी भाषा "भोजपुरी" ही बोलते हैं !
अगर आप - गाँव के रहने वाले हैं तो देखा ही होगा की किस कदर बाहर से आ कर बसे हुए लोगों को तंग किया जाता है ! खासकर " तड़का" वाले केस मे ! जहाँ " दामाद" को अपने ससुराल मे सम्पति मिलता है ! लोग अपने भागिना - नाती को अपना लेते हैं लेकिन "दामाद" को हमेशा से ही पराया समझा जाता है !
बहुत साल पहले - मैंने अपने गृह जिला "गोपालगंज" मे एक स्कूल मालिक के यहाँ गया ! वह केरल राज्य के रहने वाले थे ! उनका स्कूल काफी पैसा कम रह था ! पर स्कूल मालिक का जीवन शैली काफी निम्न था ! मैंने मजाक मजाक मे ही कुछ पूछ दिया - उन्होने जबाब दिया की - वह केरल मे एक माकन बना रहे हैं और फिर अपने माकन का फोटो दिखाया - फोटो देख कर मुझे ऐसा लगा की वह केरल मे कई करोड़ का मकान बना रहे हैं !
"बाबा" आये हुए थे - कह रहे थे की "खेत" मे काम करने को नही मिलता है - सभी के सभी "पंजाब" "दिल्ली" और गुजरात" चले जाते हैं ! पटना के एक तकनिकी कॉलेज के मालिक ने कहा - कोई पढ़ने वाला नही मिलाता है ! बिहार सरकार के एक उच्च पधाधिकारी से मेरी बात हो रही थी - बता रहे थे की पटना के सड़क पर आपको एक भी युवा नही मिलेगा ! या तो २० बरस से कम उमर वाले या फिर ४५ से ज्यादा वाले !
चलो "बिहारियों" - घर चलो ! जब हम सभी दूसरों का घर स्वर्ग बना सकते हैं तो फिर अपना क्यों नही ?
रंजन ऋतुराज सिंह , नॉएडा
http://daalaan.blogspot.com/

2 comments:

ghughutibasuti said...

बिहारी बिहार चला जाए, बंगाली बंगाल। परन्तु वे जिनके घर को कई कई प्रदेशों, देशों के लोग मिलकर घर बनाते हैं, वे क्या करें ? पत्नी एक प्रान्त जाए, पति एक, बिटिया तो कहीं भी ना जा सकेगी और दामाद एक और राज्य चला जाए ? भतीजियाँ भारत के किसी राज्य में तो उनके पति विदेश में ?
घुघूती बासूती

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

रंजन भइया,इस बात पर कुछ बोले बिना रहा भी नहीं जाता लेकिन मुंह में दही जमा है इसलिये कु्छ कहा भी नहीं जाता तो जरा दही की लस्सी नीचे उतर जाए तो जरूर कुछ न कुछ बकैती करूंगा ,करे बगैर रहा नहीं जाता न....
घुघूती जी से एक बात कि आपने जैसे लोगों की बात कही वो तो सचमुच विश्वजन होते हैं उन्हें क्या करना ,सबै भूमि गोपाल की मान कर जीवन जीना चाहिए । इस बात पर गुरू नानक देव के जीवन का एक प्रसंग कभी लिखूंगा अवश्य ही.....