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5.5.08

ब्लागवाणी वालों ने विस्फोट पर भी कहर बरपा दिया

ब्लागवाणी जो ब्लागों का एग्रीगेटर है, उसने एक दूसरे कम्युनिटी ब्लाग विस्फोट.ब्लागस्पाट.काम को भी अपने यहां से हटा दिया है। ऐसा मेरे समेत कई भड़ासियों के विस्फोट का सदस्य बन जाने के चलते किया गया है।

हालांकि ब्लागवाणी के इस सामंती और तानाशाही भरे बर्ताव से न तो भड़ास की लोकप्रियता में कमी आई और न विस्फोट की लोकप्रियता कम होगी, बल्कि ये दोनों और ज्यादा फूलेंगे फलेंगे। पर इससे यह जरूर साफ हो गया है कि धंधेबाज लोगों के हाथों एग्रीगेटर का काम होने से हिंदी ब्लागिंग का कितना नुकसान हो रहा है।

इस कृत्य से जाहिर हो गया है कि ब्लागवाणी के संचालक मंडल के पास अपना कोई विवेक नहीं है। वे चंद मठाधीश ब्लागरों के एक गुट के द्वारा निर्देशित और संचालित होते हैं।

हम मैथिली समेत ब्लागवाणी संचालक मंडल की इस कुकृत्य के लिए निंदा करते हैं और सभी ब्लागरों से ब्लागवाणी के बहिष्कार की अपील करते हैं।

जय भड़ास
यशवंत

6 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

दादा,एक बार फिर से आप जरा मेरी पुरानी पोस्ट उठा कर विस्फ़ोट पर और भड़ास पर डालिये "ब्लागवाणी का सर्वनाश हो",हम लोगों ने तो इन वणिकजनों की घटिया सोच को पहले ही समझ लिया था,ये न तो भड़ास का कुछ बांका कर पाए और न ही विस्फ़ोट का कुछ उखाड़ पाएंगे...
जय जय भड़ास और साथ में दे दनादन जय विस्फ़ोट

Anonymous said...

दादा,
रुपेश भाई ने सही कहा है और हमारे बहूत से साथी जिनमें से मैं भी हूँ रुपेश भाई का वो तलवार पढ़ने से रह गया हूँ, दे डालिए यहाँ. और रही बात ब्लोग्वानी की तो उस चिमगादर के घोंसले से निकल कर कर अगर भडास तरक्की के नए आयाम तय कर रहा है तो विस्फोट भी उस से पीछे नहीं रहने वाला. हमारी तरक्की किसी ऐरे गैरे का मोहताज नहीं है.

जय जय भडास

अबरार अहमद said...

सही कहा दादा। ब्लागवाणी अब अपनी हदें पार कर रहा है। इसका बहिष्कार तो होना ही चाहिए।

Anonymous said...

क्या जरूरत है ईस अग्र गटर की, भडास, विस्फोट दोनो ही दीखते है बाकी जगह तो ईस चमगादर के गटर की जरूरत क्या है

नारद
हींदी ब्लोग्स
चीठा जगत

एक जगह नही दीखता तो दूसरी जगह से देखो

शशिश्रीकान्‍त अवस्‍थी said...

इसका सीधा सादा अर्थ है कि भडास सबको पिछडाते हुये अपनी मंजिल की ओर लगातार अग्रसर है जब कोई आगे बडता है तो पीछे वाले रोना रोते ही है ।

जय भडास

VARUN ROY said...

ये कहर क्या बरपायेंगे यशवंत भाई. हाँ उंगली जरूर करने की कोशिश कर रहे हैं पर उससे गुदगुदी से ज्यादा कुछ नहीं होने वाला है. इनकी इस नादानी पर अगर सम्मिलित रूप से सारे भड़ासी और विस्फोटक एक बार ठहाका भर लगाएं तो अन्तरताने पर इनका नामोनिशान मिट जायेगा . बाकी डाक्टर साहेब का वो खास पीस पढने का मौका हमें भी मिले.
वरुण राय