अच्छे नही है मुल्क के हालात इन दिनों,
संसद में चल रहे है जूते-लात इन दिनों।
रिश्वत लिए-दिए बिना दफ्तर में अब कहीं,
होती नही है कोई भी तो बात इन दिनों।
बहुमत का कारनामा ज़रा गौर कीजिये,
शेरों को दे रहे है चूहे मात इन दिनों।
वोटों की सियासत का खेल आज देखिए,
हुनर से कीमती हुई है जात इन दिनों।
मकबूल रकीबों की कोई बात क्या करे,
अपनों की देखिए तो करामात इन दिनों।
मकबूल
14.10.08
अच्छे नही है मुल्क के हालात इन दिनों
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4 comments:
bahut achcha laga
बहुत खूब. सही बात कही है आपने.
मकबूल भाई,
बहुत खूब, समय पर इस से बेहतर कटाक्ष नही हो सकता, आपके उर्जावान कटाक्ष ही तो भडासी में नवीन ऊर्जा का संचार करते हैं,
आपको बधाई
bhai rajnish k jha,suresh ch.gupta aur janaab comman-man,
hauslaa-afzaai ke liye shukriyaa.ye aap logon ka bhadasi-prem hai jo likhne ki prerana detaa hai.
shukriyaa.
maqbool
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