देखिये जनाब,
आज का दिन,
फिर ऐसे ही गुजर गया,
मै सुबह उठा,
चाय, सिगरेट, अखबार,
यानी वही सब रोजाना के बाद,
मै यही सोचता रहा,
कि आख़िर ऐसा कब तक चलेगा !!
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फिर जनाब मै दफ्तर गया,
फाइल, दस्तखत, साहब की झिड़की,
यानी कि वही सब रूटीन के बाद,
मै यही सोचता रहा,
कि आख़िर ऐसा कब तक चलेगा !!
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और ऑफिस के बाद,
मै अपनी प्रेमिका से मिला,
छिटपुट प्यार, व्यापार और तकरार,
यानी वही सब कुछ के बाद,
हम यही सोचते रहे,
कि आख़िर ऐसा कब तक चलेगा !!
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फिर शाम को जनाब हम,
एक सभा में सम्मिलित हुए,
मार तमाम प्रस्तावों,
विवादों और घोषणाओं के बाद,
हम सब इसी निष्कर्ष पर पहुंचे,
कि आख़िर ऐसा कब तक चलेगा !!
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रात में जनाब,
डिनर, टीवी, और बीबी के बाद,
इन्टरनेट पर ब्लागबाजी करते हुए,
हम सब यही कहते रहे,
कि आख़िर ऐसा कब तक चलेगा !!
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और दिखिये जनाब,
आज का दिन,
फिर ऐसे ही गुजर गया !!!!!!!!
14.10.08
PLEASE ब्लाग्बाज़ पढ़ें और अपने कॅमेन्ट करें !!!
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