आज मन में एक गंभीर सवाल उठा । सोचा इसका जवाब सिर्फ़ भडासी ही दे सकते हैं । सो एक सवाल आप भडासी भईयों के सामने है । " अगर किसी साहित्यिक रचना यथा कहानी या उपन्यास पढ़ते समय उसमें कहीं किसी महिला पात्र के साथ बलात्कार का वर्णन हो या उसके साथ दुराचार के वक्त उस महिला पात्रके साथ घटित होने वाले अमानवीय अत्याचारों का वर्णन हो रहा हो और उस समय उसको पढ़के पाठक का अंग विशेष हरकत में आने लगे और उसकी कामेछा जागृत होने लग जाए तो उस पाठक की मनह स्थिति को आप किस श्रेणी में रखेगे ?
१- स्वाभाविक है
२- अस्वाभाविक है
३- विकृत है
४- काम का कीडा है
कृपया अपने बहुमूल्य विचार से हमें जरूर अवगत कराएँ ।
2.10.08
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2 comments:
अवनीश जी,
आपको क्या लगता है कि महिला के बारे में कुछ भी हो सोच कर ही भादासियों का अंग प्रत्यंग हरकत करने लगता है, अगर आप एसा सोचते हैं तो आपको बता दूँ कि परले दरजी के चुतियौं कि फौज, नमकुलों कि जमात लड़ने और बस लड़ने वाले भडासी सिर्फ़ और सिर्फ़ चुतियापा करते हैं और आपके मांगे गये सुझाव उस चुतियापा में नही आते हैं, आपको किसी सेक्स विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए.
जय जय भड़ास
अवनीश जी
नमस्कार
आपको अगर ऐसे ख्याल आते हैं तो इसमें कुठित होने की आवश्यकता नहीं है। अपने दिमाग को रचनात्मक कार्यों में लगाएं और समस्या गंभीर हो तो डॉ रूपेश को बताएं। वे अवश्य निदान कर पाने में सफल होंगे। एक होम्योपैथी चिकित्सक भी हैं ब्लॉगिंग में डॉ प्रभात टण्डन वे भी आपकी सहायता कर सकते हैं लेकिन भड़ासियों के बीच इस प्रकार की समस्याएं आना ही असहज है। दुनिया की सारी समस्याएं जो सिर ले रखी हैं।
यहां आप अपनी भड़ास जी भरकर निकालिए तो शायद कुंठा भी कम हो जाएगी।
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